MCD में ढाई साल बाद BJP की जीत के क्या मायने? इन पांच मामलों से निपटना होगा चुनौती
दिल्ली नगर निगम की सत्ता में ढाई साल बाद वापसी करने वाली भाजपा के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती स्थायी समिति का गठन और कूड़े के लिए संपत्ति कर के साथ लगाए गए यूजर चार्ज को वापस लेना है।

दिल्ली नगर निगम की सत्ता में ढाई साल बाद वापसी करने वाली भाजपा के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती स्थायी समिति का गठन और कूड़े के लिए संपत्ति कर के साथ लगाए गए उपयोगकर्ता शुल्क (यूजर चार्ज) को वापस लेना है। महापौर पद संभालने के बाद राजा इकबाल सिंह ने इन अहम मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए इसका समाधान करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि एक महीने में स्थायी समिति का गठन करेंगे। इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। यूजर चार्ज को वापस लेने के वादे को भी उन्होंने दोहराया है।
महापौर ने निगम की प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने और बदहाल पार्कों की स्थिति सुधारने पर भी जोर दिया। मानसून में लोगों को जलभराव की समस्या न हो, इसके लिए नालियों की सफाई समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने की बात भी उन्होंने की। महापौर ने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए तीन महीने की समयसीमा तय की है। चुनाव के दौरान कैंसर पीड़ित जनकपुरी पश्चिम वार्ड से पार्षद उर्मिला नरेंद्र चावला भी मतदान करने पहुंचीं।
जीत के क्या हैं मायने
भाजपा के वर्ष 2007 से 2012 के दौरान संयुक्त दिल्ली नगर निगम में सत्ता संभाली थी। इसके बाद वर्ष 2012 से 2022 तक भी पूर्ववर्ती तीनों नगर निगम में भी सत्ता संभाली थी। अब मौजूदा समय में केंद्र और दिल्ली में भाजपा की सरकार है। अब ऐसा पहली बार होगा कि केंद्र और दिल्ली राज्य के साथ दिल्ली नगर निगम में भी भाजपा की सरकार बन गई है। इससे नगर निकायों की व्यवस्था और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से जुड़े फैसलों में राज्य सरकार के साथ समन्वय बैठाने में अड़चन नहीं आएगी। उधर, एमसीडी में भाजपा की जीत पर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि अब दिल्ली में निगम प्रशासन और नागरिक सेवाएं सुचारू रूप से शुरू हो सकेंगी।
स्थायी समिति के तीन सदस्यों का चयन सदन में होगा
नगर निगम की स्थायी समिति के तीन सदस्यों का फिर से चयन होगा। अगले एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं।
इन पांच बड़े मुद्दों का सामना करना होगा
1. स्थायी समिति का गठन
दिसंबर 2022 से संयुक्त नगर निगम के चुनाव के बाद से स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ है। इस समिति का गठन न होने के कारण पांच करोड़ रुपये से अधिक के फंड से जुड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में लगातार परेशानी आ रही थी।
2. कूड़े के पहाड़ों का निस्तारण
दिल्ली के तीन लैंडफिल साइटों- भलस्वा, गाजीपुरी और ओखला में वर्षों से जमे हजारों टन कूड़े के निस्तारण को तेज करने की सबसे बड़ी चुनौती है। गाजीपुर लैंडफिल साइट में सबसे धीमी गति से कूड़े का निस्तारण हो रहा है। इसकी रफ्तार बढ़ानी होगी।
3. जलभराव की समस्या
मानसून के दौरान पूरी दिल्ली में मुख्य सड़कों के साथ गलियों में जलभराव की समस्या होती है। इसमें डीडीए की तरफ से विकसित किए गए स्थान, जिन्हें डीडीए ने निगम को सौंप दिया है। वहां पर भी लोगों को जलभराव के संकट से जूझना पड़ता है।
4. मानसून से पहले हजारों नालों की सफाई
निगम के अधीन चार फीट से ऊपर के 713 नाले आते हैं, जिनकी लंबाई 460 किलोमीटर है। साथ ही, चार फीट से नीचे के लगभग 21 हजार नाले हैं। इन नालों की सफाई मानसून से पहले करना बड़ी चुनौती है।
5. अतिक्रमण, खतरनाक इमारतें और अवैध निर्माण
दयालपुर की घटना के बाद निगम की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में अतिक्रमण, खतरनाक इमारतों का सर्वे कर उनकी पहचान करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना भी एक बड़ी चुनौती है।
उम्मीद है अब दिल्ली में कोई काम नहीं रुकेगा : आप
आम आदमी पार्टी के पूर्व महापौर महेश कुमार खींची ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट में बयान जारी कर नवनिर्वाचित महापौर राजा इकबाल सिंह को बधाई दी। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अब चार इंजन की सरकार बन गई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एमसीडी और एलजी साहब, मुझे लगता है कि दिल्ली का अब कोई भी काम नहीं रुकेगा। भाजपा ने आम जनता से जो वादे किए थे, उनको पूरा करें। अब कोई बहाना नहीं चलेगा।