Hindi Newsदेश न्यूज़World Bank report India succeeded bringing 17 crore people out of extreme poverty in decade

भारत में 10 साल में 17 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी से बाहर निकले, विश्व बैंक की रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, गांवों में अत्यंत गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गई, जबकि शहरी क्षेत्र में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत पर रही। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गया।

Niteesh Kumar भाषाSat, 26 April 2025 09:19 PM
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भारत में 10 साल में 17 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी से बाहर निकले, विश्व बैंक की रिपोर्ट

भारत 2011-12 और 2022-23 के बीच बेहद गरीबी में रह रहे 17.1 करोड़ लोगों को बाहर निकालने में सफल रहा है। विश्व बैंक ने भारत को लेकर गरीबी और समानता पर अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'पिछले एक दशक में भारत ने गरीबी को काफी हद तक कम किया है। अत्यंत गरीबी यानी प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत पर आ गई। इससे 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ पाए हैं।'

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रिपोर्ट के मुताबिक, 'गांवों में अत्यंत गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गई, जबकि शहरी क्षेत्र में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत पर रही। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गया। यह सालाना 16 प्रतिशत की गिरावट है।' इसमें कहा गया कि भारत निम्न-मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में भी आने में सफल रहा है। इसमें 3.65 डॉलर प्रतिदिन की निम्न-मध्यम आय वर्ग गरीबी रेखा का उपयोग करते हुए गरीबी 61.8 प्रतिशत से घटकर 28.1 प्रतिशत पर आ गई। इससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए।

गांवों में कितनी घटी गरीबी

गांवों की गरीबी इस दौरान 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत पर आ गई। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 25 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गया और सालाना आधार पर गिरावट सात प्रतिशत रही। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में भारत में अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों में 5 सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश) की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं 2022-23 तक अत्यंत गरीबी में आई कमी में इनका योगदान दो-तिहाई रहा। रिपोर्ट में में कहा गया, ‘इन राज्यों का अभी भी भारत के अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों का 54 प्रतिशत (2022-23) और बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों पर गरीब लोगों (2019-21) का 51 प्रतिशत हिस्सा है।’

रोजगार का कैसा है हाल

रिपोर्ट में कहा गया कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के जरिए मापा जाने वाला गैर-मौद्रिक गरीबी सूचकांक 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत पर आ गई। रोजगार में वृद्धि ने 2021-22 से कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है। विशेष रूप से महिलाओं के बीच रोजगार दर बढ़ रही है। शहरी बेरोजगारी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 6.6 प्रतिशत तक घट गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है। इसमें चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा गया कि युवा बेरोजगारी 13.3 प्रतिशत है। यह उच्च शिक्षा प्राप्त स्नातकों के बीच बेरोजगारी 29 प्रतिशत तक है। गैर-कृषि भुगतान वाली नौकरियों में से केवल 23 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में हैं और अधिकांश कृषि रोजगार अभी भी असंगठित बने हुए हैं।

महिलाओं को लेकर रिपोर्ट में क्या

स्वरोजगार, खासकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच बढ़ रहा है। महिलाओं में 31 प्रतिशत रोजगार दर के बावजूद, स्त्री-पुरूष के स्तर पर असमानता बनी हुई है। महिलाओं की तुलना में ज्यादा पुरुष भुगतान वाली नौकरियों में हैं। विश्व बैंक गरीबी और समानता पर संक्षिप्त विवरण में 100 से अधिक विकासशील देशों के लिए गरीबी, साझा समृद्धि और असमानता के रुझानों को बयां किया गया है। विश्व बैंक समूह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ये विवरण साल में 2 बार जारी किए जाते हैं। यह रिपोर्ट किसी देश की गरीबी और असमानता के संदर्भ को समझने में मदद करती है।

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