शाम में भी शुरू होंगी अदालतें? CJI खन्ना की बड़ी पहल, कल से शुरू होगी SC की कॉन्फ्रेंस
- यह सम्मेलन भारतीय न्यायपालिका की एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना और लंबित मामलों की संख्या में कमी लाना है।
देशभर की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने एक बड़ी पहल शुरू की है। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट 1 फरवरी को एक महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है, जिसमें न्यायपालिका की प्रभावशीलता बढ़ाने और मामलों के तेजी से निपटारे पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में शाम की अदालतें शुरू करने पर भी विचार किया जा सकता है।
82,445 मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित, निचली अदालतों में लाखों मामले
वर्तमान में, केवल सुप्रीम कोर्ट में ही 82,445 मामले लंबित हैं, जबकि देशभर की निचली अदालतों में करोड़ों मामले लंबित पड़े हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए सम्मेलन में न्यायिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के व्यावहारिक समाधान खोजने पर जोर दिया जाएगा। इस सम्मेलन में सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, प्रत्येक उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश और जिला न्यायपालिका के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों को आमंत्रित किया गया है।
चार सत्रों में होगी चर्चा, लंबित मामलों के निपटारे के लिए उठाए जाएंगे ठोस कदम
सम्मेलन में चार प्रमुख सत्र होंगे, जिनमें न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी और सुचारू बनाने के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी।
पहला सत्र: इस सत्र की अध्यक्षता स्वयं मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना करेंगे। इसमें 2024 के लिए राष्ट्रीय न्यायालय प्रबंधन प्रणाली (NCMS) समिति की कार्ययोजना की समीक्षा की जाएगी। चर्चा का मुख्य फोकस उन चुनौतियों को पहचानने पर होगा जो मामलों के त्वरित निपटारे में बाधा डालती हैं। इसके अलावा, विभिन्न स्तरों पर मामलों के शीघ्र समाधान के लिए रणनीतियां तैयार की जाएंगी, शाम की अदालतें (Evening Courts) शुरू करने की संभावना पर विचार होगा, और वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणाली को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा होगी।
दूसरा सत्र: इस सत्र की अध्यक्षता न्यायमूर्ति भूषण आर गवई करेंगे। इसमें न्यायिक व्यवस्था में प्रौद्योगिकी (Technology) के व्यापक उपयोग पर चर्चा होगी, जैसे डिजिटल कोर्ट सॉफ्टवेयर का विस्तार, ई-फाइलिंग प्रणाली, वर्चुअल कोर्ट्स को बढ़ावा देना, और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को और अधिक प्रभावी बनाना।
तीसरा सत्र: इस सत्र की अध्यक्षता न्यायमूर्ति सूर्यकांत करेंगे। इसमें मानव संसाधन प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा। न्यायिक अधिकारियों और अदालतों के कर्मचारियों की समयबद्ध और संस्थागत भर्ती प्रक्रिया को मजबूत करने, उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में एक स्थायी आईटी और डेटा कैडर (Permanent IT and Data Cadre) स्थापित करने पर चर्चा होगी।
चौथा सत्र: इस सत्र की अध्यक्षता फिर से मुख्य न्यायाधीश खन्ना करेंगे। इसमें वकीलों के पेशेवर विकास, नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पूरे देश में न्यायिक प्रशिक्षण के लिए एक समान पाठ्यक्रम तैयार करने जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
शीर्ष न्यायाधीश होंगे शामिल
इस सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश, जिनमें न्यायमूर्ति अभय एस ओक, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन, न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति एमएम सुंद्रेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी शामिल होंगे।
यह सम्मेलन भारतीय न्यायपालिका की एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना और लंबित मामलों की संख्या में कमी लाना है। शाम की अदालतों जैसी नई पहल और तकनीकी साधनों के बेहतर उपयोग से न्याय प्रक्रिया को गति देने की उम्मीद है। इस सम्मेलन से निकलने वाले सुझाव न्यायिक सुधारों में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।