Hindi Newsदेश न्यूज़Will never accept Waqf Board Bill after passing from Parliament give challenge in Supreme court Maulana Arshad Madani

किसी भी सूरत में मंजूर नहीं वक्फ बिल, पारित होते ही SC में देंगे चुनौती: मौलाना ने दी खुली चेतावनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, मदनी ने कहा, ‘‘जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, वे सही साबित हुईं।

Pramod Praveen भाषा, नई दिल्लीThu, 13 Feb 2025 09:41 PM
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किसी भी सूरत में मंजूर नहीं वक्फ बिल, पारित होते ही SC में देंगे चुनौती: मौलाना ने दी खुली चेतावनी

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय इसे स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि संसद से इस विधेयक के पारित होने पर इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। मदनी ने यह बयान उस वक्त दिया जब बृहस्पतिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को लोकसभा और राज्यसभा के पटल पर रखा गया।

मुस्लिम संगठन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, मदनी ने कहा, ‘‘जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, वे सही साबित हुईं। इन संशोधनों के जरिए केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों की स्थिति और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करना आसान हो जाए और उनका मुस्लिम वक्फ का दर्जा खत्म हो जाए।’’

उनका कहना था, ‘‘पहले के कानून की धारा 3 में वक्फ बोर्ड यह तय करता था कि कोई वक्फ वैध है या नहीं, अब मौजूदा संशोधन में यह अधिकार कलेक्टर को दे दिया गया है, लेकिन अब मौजूदा 14 संशोधनों में जो आज संसद में पेश किए गए हैं, एक नए संशोधन ने कलेक्टर से लेकर उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी को जांच का अधिकार दिया है जो यह तय करेगा कि यह संपत्ति सरकारी है या वक्फ की जमीन है।’’

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मौलाना मदनी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के विरोध के बाद वक्फ नियम में बदलाव किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस तानाशाही कानून को स्वीकार नहीं कर सकते।’’ मदनी ने कहा कि ‘‘धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों’’ के पास अभी भी मौका है कि वे इस कानून को संसद में पारित होने से रोकें और इसका खुलकर विरोध करें।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘यदि यह कानून पारित हो जाता है तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी और साथ ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए मुसलमान और अन्य अल्पसंख्यकों और न्यायप्रिय लोगों के साथ मिलकर सभी लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों का भी उपयोग करेगी।’’

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