26 साल बाद भारत पर लगाई परमाणु पाबंदी क्यों हटाने जा रहा US, जाते-जाते बाइडेन की क्या मजबूरी
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान बताया कि अमेरिका ने उन प्रतिबंधों को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मई 1998 में बुद्ध पूर्णिमा के दिन भारत ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। इसे कोड वर्ड में तब कहा गया था ‘बुद्ध मुस्कुराए’। तब पूरी दुनिया भारत के इस करतब पर हैरान रह गई थी लेकिन अमेरिका को यह नागवार गुजरा था। बौखलाए अमेरिका ने तब भारत पर परमाणु प्रतिबंध लगा दिए थे। यानी भारत की कई असैन्य परमाणु कंपनियों पर पाबंदियां लगा थीं लेकिन 26 साल से ज्यादा समय बाद अब अमेरिकी सरकार उस प्रतिबंध को हटाने जा रही है। हालांकि कई प्रतिबंध पहले ही हटाए जा चुके हैं लेकिन अभी भी भारत के कुछ रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयों पर यह प्रतिबंध लागू है।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान बताया कि अमेरिका ने उन प्रतिबंधों को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार एक तरफ अमेरिका पाकिस्तान की कई परमाणु कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रहा है वहीं दूसरी तरफ जाते-जाते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत पर दरियादिली क्यों दिखा रहे हैं? या इसके पीछे अमेरिका की कोई खास मजबूरी है।
दरअसल, अमेरिका चाहता है कि विश्व पटल पर मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहे हिन्दुस्तान के साथ ऊर्जा संबंधों को और मजबूत किया जाए और 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को रफ्तार दिया जाए। अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों की सप्लाई पर भारत से बातचीत 2000 के दशक से चल रही है। 2007 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इससे जुड़े एक समझौते पर दस्तखत किए थे, जो भारत को अमेरिकी नागरिक परमाणु तकनीक बेचने की अनुमति देता है लेकिन दोनों देशों के बीच साझेदारी बीच मंझधार में फंस गई।
परमाणु दुर्घटना में जिम्मेदारी के सवाल पर भी समझौता मुश्किल में पड़ा। इसकी वजह से भारत का 2020 तक 20,000 मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य अब 2030 तक खिसक कर चला गया है। 2021 में जब बाइडेन ने व्हाइट हाउस की कमान संभाली तो 2022 में भारत और अमेरिका ने एक तकनीकी पहल शुरू की। इसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर उत्पादन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में सहयोग करना था। इसी पहल के तहत जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच भारत में जेट इंजन बनाने का समझौता हुआ।
अब बाइडेन प्रशासन के आखिरी दिनों में सुलिवन की यात्रा का उद्देश्य इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना और नई साझेदारियों के रास्ते तलाशना है। बाइडेन भारत संग अपनी दोस्ती की नई भारत भी लिखना चाहते हैं। नए दौर में अमेरिका की यह मजबूरी भी है, इसलिए अमेरिका ने अंतरिक्ष एवं असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत संग सहयोग बढ़ाने, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में छूट देने और भारतीय परमाणु संस्थाओं को प्रतिबंध सूची से बाहर करने के उपायों पर सोमवार को विचार विमर्श किया है।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के बीच हुई एक बैठक में यह विचार मंथन किया गया। अमेरिकी एनएसए सुलिवन के साथ अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी था।
बैठक के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों एनएसए के बीच व्यापक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडे पर व्यापक चर्चा के माध्यम से नियमित रूप से उच्च स्तरीय बातचीत हुई है। 24 मई 2022 को टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जोसेफ बिडेन द्वारा महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (आईसीईटी) पर भारत-अमेरिका पहल के शुभारंभ के बाद, दोनों एनएसए ने दोनों देशों के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर, दूरसंचार, रक्षा और अंतरिक्ष सहित कई क्षेत्रों में ठोस पहल की है।
वक्तव्य के अनुसार वर्तमान यात्रा ने उन्हें रक्षा, साइबर और समुद्री सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों सहित अपने उच्च-स्तरीय संवाद में चल रही प्रगति की समीक्षा करने का अवसर दिया। अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने भारतीय पक्ष को मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के तहत अमेरिकी मिसाइल निर्यात नियंत्रण नीतियों के लिए बिडेन प्रशासन द्वारा लाए गए संशोधन के बारे में जानकारी दी, जो भारत के साथ अमेरिकी वाणिज्यिक अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देगा। (Ye