Hindi Newsदेश न्यूज़Why Supreme Court asks IMA chief to file physical copies of Patanjali ads interview apology

इतना छोटा माफीनामा, दिख तक नहीं रहा; पतंजलि केस में सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष को क्यों फटकारा?

  • सुप्रीम कोर्ट पतंजलि आयुर्वेद और उसके संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ IMA द्वारा दायर मामले की सुनवाई कर रहा था।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 27 Aug 2024 09:22 AM
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पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष आर वी अशोकन को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने अशोकन द्वारा अखबारों में प्रकाशित माफीनामे पर असंतोष व्यक्त किया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि IMA अध्यक्ष ने जो माफीनामा अखबारों में छपवाया वह पढ़ने में कठिन था और उसका फॉन्ट छोटा था। इसी के साथ न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अशोकन की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया को ‘द हिंदू’ अखबार के 20 संस्करणों की प्रतियां एक हफ्ते के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, जिनमें उनकी माफी प्रकाशित की गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘पब्लिकेशन का जरा साइज तो देखिए। हम इसे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं। यह 0.1 M से भी कम है। अगर आपको कोई आपत्ति है तो हमें बताएं। हम इसे पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। हम तब तक नहीं मानेंगे जब तक हमें विज्ञापन भौतिक रूप में न दिखें और हमें असली साइज न दिखाया जाए...हमारे सामने दाखिल माफीनामे का अंश अस्पष्ट है क्योंकि इसका फॉन्ट छोटा है। आईएमए अध्यक्ष के वकील को निर्देश दिया जाता है कि वह ‘द हिंदू’ के 20 प्रकाशनों की भौतिक प्रतियां एक सप्ताह के भीतर दाखिल करें जहां माफीनामे का प्रकाशन किया गया है।’’

अशोकन ने गत नौ जुलाई को शीर्ष अदालत को बताया था कि ‘पीटीआई’ को दिए गए इंटरव्यू में उनके ‘नुकसान पहुंचाने’ वाले बयानों के लिए उच्चतम न्यायालय से उनकी बिना शर्त माफी विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशित हुई है। इंटरव्यू में उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन मामले के बारे में प्रश्नों के उत्तर दिए थे।

पीठ ने 14 मई को सुनवाई के दौरान ‘पीटीआई’ को दिए गए इंटरव्यू में न्यायालय के खिलाफ अशोकन के ‘हानिकारक’ बयानों को लेकर उनसे कुछ कठिन सवाल पूछे थे और कहा था, ‘‘आप ऐसा नहीं कर सकते कि आराम से सोफे पर बैठकर प्रेस को इंटरव्यू दें और अदालत की खिल्ली उड़ाएं।’’ अदालत ने तब साफ किया था कि वह उस स्तर पर उनकी माफी के लिए दायर हलफनामे को स्वीकार नहीं करेगी।

सुप्रीम कोर्ट पतंजलि आयुर्वेद और उसके संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ IMA द्वारा दायर मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को निशाना बनाने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया था। IMA ने आरोप लगाया था कि पतंजलि आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ अभियान चला रही है।

शीर्ष अदालत द्वारा मामले की सुनवाई से एक दिन पहले अशोकन की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर एक आवेदन पर उनसे जवाब मांगा था, जिसमें अदालत से उनके द्वारा दिए गए बयानों का न्यायिक संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था। पीटीआई के कार्यक्रम ‘@4 पार्लियामेंट स्ट्रीट’ कार्यक्रम में 29 अप्रैल को एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत में अशोकन ने कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि उच्चतम न्यायालय ने आईएमए और निजी चिकित्सकों की कुछ प्रैक्टिस की आलोचना की।

(इनपुट एजेंसी)

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