Hindi Newsदेश न्यूज़Why CJI Sanjiv Khanna says Justice cannot thrive when falsehood is practiced Supreme Court diamond jubilee event

जहां झूठ, वहां नहीं हो सकता न्याय; CJI खन्ना ने क्यों कही ऐसी बात: गिनाईं तीन बड़ी चुनौतियां

CJI खन्ना ने न्यायपालिका की तीन अहम चुनौतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि जहां झूठ व्याप्त हो, वहां न्याय नहीं हो सकता। उन्होंने अदालतों पर बढ़ते बोझ और महंगी होती न्याय का भी उल्लेख किया।

Pramod Praveen भाषा, नई दिल्लीTue, 28 Jan 2025 09:52 PM
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जहां झूठ, वहां नहीं हो सकता न्याय; CJI खन्ना ने क्यों कही ऐसी बात: गिनाईं तीन बड़ी चुनौतियां

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर एक समारोह में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह ‘‘जनता की सच्ची अदालत’’ है जो 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देते हुए दुनिया की सबसे जीवंत शीर्ष अदालत के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘जो संघीय अदालत के उत्तराधिकारी के रूप में 1950 में शुरू हुआ था, वह शायद दुनिया की सबसे जीवंत और गतिशील शीर्ष अदालत में विकसित हुआ है, जो वास्तव में 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं और विविधता का प्रतीक है।" उन्होंने कहा, "हमारे उच्चतम न्यायालय को वैश्विक मंच पर अलग पहचान मिलती है। लोगों की सच्ची अदालत के रूप में इसका अनूठा चरित्र है।’’

उच्चतम न्यायालय 26 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आया था, जब संविधान लागू हुआ था और 28 जनवरी, 1950 को इसका उद्घाटन किया गया था। शुरू में यह पुराने संसद भवन से कार्य करता था और 1958 में इसका कामकाज तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया। जस्टिस खन्ना ने कहा कि संवैधानिक यात्रा शुरू होने के 75 साल बाद उच्चतम न्यायालय बदल गया है, फिर भी अपने मूलभूत मिशन पर कायम है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह परिवर्तन एक गहरी मान्यता को दर्शाता है - कि न्याय सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों होना चाहिए। ऐसा करने से, यह न्याय के संवैधानिक वादे - सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक - को लाखों भारतीयों के लिए एक जीवित वास्तविकता बनाता है।’’ सीजेआई ने कहा कि जहां शीर्ष अदालत की यात्रा अधिकारों और पहुंच में उल्लेखनीय विकास को दर्शाती है, वहीं तीन चुनौतियों पर ध्यान देने की बात कही जाती है।

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जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘‘सबसे पहले, लंबित मामलों का बोझ जो न्याय में देरी का कारण बनता है। दूसरा, मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत (न्याय तक) सच्ची पहुंच को खतरे में डालती है। तीसरी, और शायद सबसे बुनियादी बात यह है कि जहां और जब भी झूठ का सहारा लिया जाता है, वहां न्याय नहीं पनप सकता।’’ उन्होंने यह बात साफ की कि जहां झूठ व्याप्त हो, वहां न्याय नहीं हो सकता है।

सीजेआई शीर्ष अदालत के हीरक जयंती वर्ष को चिह्नित करने के लिए आयोजित रस्मी पीठ का हिस्सा थे। सीजेआई के अलावा, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए। सिब्बल ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही शीर्ष अदालत को कानून के अनुसार मामलों का फैसला करने में कोई झिझक नहीं हुई है।

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