Hindi Newsदेश न्यूज़Why China in trouble after PM Narendra Modi Visit to Guyana what is China factor in Guyana

दूरदृष्टि वाले PM हैं मोदी, यूं ही नहीं गए छोटू देश गुयाना; भारत के दांव से चीन क्यों हैरान-परेशान

PM Modi Guyana Visit: पीएम मोदी राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के निमंत्रण पर गुयाना की यात्रा पर आए हैं और वह 21 नवंबर तक यहां रहेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार गुयाना में भारतीय मूल के लगभग 3,20,000 लोग हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 20 Nov 2024 03:03 PM
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PM Modi Guyana Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में आज (बुधवार, 20 नवंबर को) कैरेबियाई देश गुयाना पहुंचे। यह यात्रा इसलिए खास है क्योंकि पिछले 56 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली गुयाना यात्रा है। वहां की राजधानी जॉर्जटाउन पहुंचने पर पीएम मोदी ने कहा कि उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच मित्रता को और प्रगाढ़ करेगी। हवाई अड्डे पर गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली, उनके समकक्ष मार्क एंथनी फिलिप्स और 12 से अधिक कैबिनेट मंत्रियों ने पीएम मोदी का स्वागत किया जबकि होटल में ग्रेनेडा के प्रधानमंत्री डिकॉन मिशेल और बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया अमोर मोटली मौजूद थीं।

अधिकारियों ने बताया कि मोदी को भारत-गुयाना के घनिष्ठ संबंधों के प्रमाण के रूप में ‘जॉर्जटाउन शहर की चाबी’ भी सौंपी गई। मोदी राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के निमंत्रण पर गुयाना की यात्रा पर आए हैं और वह 21 नवंबर तक यहां रहेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार गुयाना में भारतीय मूल के लगभग 3,20,000 लोग हैं। मोदी दूसरे ‘भारत-कैरिकॉम’ शिखर सम्मेलन में कैरेबियाई साझेदार देशों के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसलिए भी अहम है क्योंकि गुयाना में चीन की बढ़ती मौजूदगी इस क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है।

गुयाना में कैसे बढ़ रहा चीनी दखल

दरअसल, चीन तेल और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध छोटे से देश गुयाना के साथ न केवल अपना सैन्य, आर्थिक और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए आपसी संबंधों को मजबूत कर रहा है बल्कि कैरेबियाई इलाके में वह क्षेत्रीय दबदबा भी बनाना चाह रहा है और इसके लिए बीजिंग वन रोड, वन बेल्ट इनिशिएटिव के जरिए लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। 2017 के बाद से चीन ने गुयाना में अपनी उपस्थिति का तेजी से विस्तार किया है। छोटू से देश गुयाना में ताकतवर चीन का विस्तार कैरेबियन और लैटिन अमेरिका में उसकी बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है।

चीन इस खेल में गुयाना के साथ व्यापार सौदों में लगातार इजाफा कर रहा है। इसके अलावा वहां बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विकास कर रहा है और सैन्य सहायता कर इस क्षेत्र का एक अहम खिलाड़ी बन चुका है। चीनी कंपनियों ने वहां आर्थर चुंग कॉन्फ्रेंस सेंटर, चेड्डी जगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट और ईस्ट बैंक डेमेरारा हाईवे जैसी कई अहम परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। चीन ने गुयाना में अक्षय ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा और दूरसंचार के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश किया है। इससे गुयाना और आसापास के कैरेबियाई देशों में उसका प्रभाव बढ़ा है। चीन ने गुयाना के साथ अपने सैन्य संबंधों का विस्तार करते हुए गुयाना की सेना के लिए वाई-12 गश्ती विमान और कई ऐसे उपकरण भी दिए हैं, जो सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए फपयोगी हैं।

भारत के लिए क्यों खास है गुयाना

गुयाना में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों लेकर आया है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी की यह अभूतपूर्व यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है बल्कि ऊर्जा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी दोनों देश आपसी सहयोग करने को तैयार हैं। 2021-22 में गुयाना और भारत के बीच व्यापार 223.36 मिलियन डॉलर का रहा है। इसमें ऊर्जा उत्पादों का बड़ा योगदान था। गुयाना अपने विशाल तेल भंडारों की वजह से भारत के लिए विशेष और मूल्यवान भागीदार बनकर उभरा है।

बड़ी बात यह है कि भारत और गुयाना के बीच आर्थिक संबंधों में मजबूती ऐसे समय में आ रही है, जब इस दशक के अंत तक गुयाना दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादकों में से एक बनने को तैयार है। गुयाना अपने विशाल तेल और गैस भंडार के लिए दुनिया भर में चर्चित है। यहां 11 बिलियन बैरल से अधिक तेल भंडार है, जो कुवैत के भंडार से तीन गुना अधिक है। इस बीच, भारत गुयाना के इस तेजी से बढ़ते उद्योग में अपनी हिस्सेदारी और भूमिका निभाने को तैयार और उत्सुक है। बता दें कि तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) जैसी कंपनियां पहले से ही गुयाना के तेल और गैस क्षेत्रों में अवसरों की तलाश कर रही हैं।

भारत-गुयाना में तेजी से प्रगाढ़ हुए संबंध

इसके अलावा गुयाना का रणनीतिक और सामरिक स्थान भारत को कैरेबियन देशों के बीच अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का अवसर भी उपलब्ध करा रहा है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो पारंपरिक रूप से अमेरिका और पश्चिमी शक्तियों के प्रभुत्व में रहा है। चूंकि गुयाना बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करता है, इसलिए भारत प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा सहयोग के जरिए वहां योगदान दे सकता है। हाल के दिनों में गुयाना ने भारत की तरफ तेजी से सहयोग का हाथ बढ़ाया है। इस महीने की शुरुआत में गुयाना रक्षा बल के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ब्रिगेडियर उमर खान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए पांच दिवसीय दौरे पर भारत आए थे। यह बात भी दीगर है कि इस साल की शुरुआत में, भारत ने गुयाना को दो डोर्नियर-228 विमान दिए थे।

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चीन क्यों परेशान

इसके अलावा गुयाना और भारत के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। गुयाना की लगभग 40% आबादी भारतीय मूल की है, जो 1838 में ब्रिटिश शासन के दौरान गन्ने के खेतों में काम करने के लिए बतौर गिरमिटिया मजदूर लाए गए लोगों के वंशज हैं। इस यौत्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी भारतीय मजदूरों की पहली यात्रा की याद में बनाए गए ‘इंडियन अराइवल मॉन्यूमेंट’ पर जाकर श्रद्धांजलि देंगे। इसके साथ ही, वह गुयाना की संसद को भी संबोधित करेंगे और भारतीय समुदाय से मुलाकात करेंगे। चीन को इसी बात की चिंता सताने लगी है कि अगर भारत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के सहारे आगे बढ़ा तो उसकी राह में रोड़े खड़े हो सकते हैं और तेल-गैस और खनिजों पर कब्जा करने का उसका सपना चकनाचूर हो सकता है। सामरिक क्षेत्र में भी उसकी प्लानिंग चौपट हो सकती है।

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