डॉ. मनमोहन सिंह की संसद में ऐसी एंट्री, तालियों से गूंज उठा सदन; पीएम मोदी ने की थी जमकर तारीफ
- पीएम मोदी ने सदन में डॉ. मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की थी। दरअसल कुछ दिन पहले ही वह व्हीलचेयर पर सदन में वोटिंग करने पहुंचे थे। इसका जिक्र करते हुए सदन तालियों से गूंज उठा।
डॉ. मनमोहन सिंह देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनकी तारीफ विपक्षी भी करते ही रहे हैं। वह ऐसे शख्स थे जो कि राजनीतिक हथकंडों से दूर रहे फिर भी 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे। गुरुवार रात पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। पीएम मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सात दिनों का राजकीय अवकाश घोषित किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर उनकी संसद में तारीफ की। पीएम मोदी ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, मैं खास तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह का उल्लेख करना चाहता हूं। सदन के नेता के रूप में और प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ करते हुए याद किया कि किस तरह वह सदन में वोट करने के लिए व्हीलचेयर पर पहुंचे थे।
2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह सार्वजनकि जीवन में कम ही दिखाई पड़ते थे। पीएम मोदी ने उकी तारीफ करते हुए कहा था, आखिरी कुछ दिनों में वोटिंग का एक मौका था। पता था कि विजय ट्रेजरी बेंच की होने वाली है। अंतर भी बहुत था। लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह जी व्हीलचेयर पर आए और वोट किया। एक सांसद अपने दायित्व के लिए कितना सजग है, इसका वह उदाहरण है। सवाल यह नहीं कि वह किसको ताकत देने आए थे। मैं मानता हूं कि वह लोकतंत्र को ताकत देने आए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में कई बार डॉ. मनमोहन सिंह पर तंज भी किया था। इसको लेकर खुद पीएम मोदी ने कहा था, वैचारिक मतभेद, छींटाकशी, तो बहुत अल्पकालिक होती थी। लंबे समय तक उन्होंने जिस तरह से मार्ग्दर्शन किया है, देश का मार्गदर्शन किया है, उसकी चर्चा हमेशा होती रहेगी।
बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह दिल्ली सर्विस बिल के लिए वोटिंग करने व्हीलचेयर पर पहुंचे थे। उस समय वह कमजोर नजर आ रहे थे। केंद्रीय मंत्रियों ने भी डॉ. मनमोहन सिंह की तारीफ की। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों के लिए यह देश उनका हमेशा ही कर्जदार रहेगा। 1990 में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा मोड़ आया। देश को गंभीर संकट का भी सामना करना पड़ा। लेकिन वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने अर्थव्यवस्था को लाइसेंस और कोटा राज से मुक्त करने का फैसला कर लिया। हर संकट से निपटते हुए उन्होंने आर्थिक उदारवाद की नीति के जरिए देश को नए रास्ते पर आगे बढ़ा दिया।