Hindi Newsदेश न्यूज़What does Justin Trudeaus resignation mean for India next pm of Canada

जस्टिन ट्रूडो ने नहीं छोड़ी रिश्ते बिगाड़ने में कोई कसर, अब इस्तीफे का भारत पर क्या होगा असर

  • कनाडा में इस समय करीब 4 लाख 27 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अब ट्रूडो सरकार का फास्ट ट्रैक वीजा प्रोग्राम खत्म करना पहले ही विवादों में रहा। साथ ही ट्रूडो ने इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट में भी कटौती की, जिससे संख्या में 35 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानTue, 7 Jan 2025 08:01 AM
share Share
Follow Us on

कनाडा के प्रधानमंत्री पद से जस्टिन ट्रूडो इस्तीफे का ऐलान कर चुके हैं। साथ ही वह लिबरल पार्टी के प्रमुख का पद भी छोड़ेंगे। खबर है कि पार्टी की तरफ से नया चेहरा चुनते ही वह कार्यभार छोड़ देंगे। इस इस्तीफे को कनाडा की राजनीति के एक युग के अंत की तरह देखा जा रहा है। सवाल यह भी है कि क्या इसका भारत के साथ कनाडा के रिश्तों पर भी असर होगा।

ट्रूडो का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है, जब भारत और कनाडा के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। अब ट्रूडो के पद छोड़ने को कनाडा की विदेश नीति में बदलाव के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या लिबरल पार्टी ऐसे नए नेता का चुनाव करेगी, जो ट्रूडो जैसा रवैया बरकरार रखेंगे या नया कूटनीतिक रुख अपनाएंगे। अगर चुनाव में लिबरल पार्टी सत्ता में लौट आती है, तो अगले नेता के सामने भारत के साथ राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौती होगी।

ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के तार भारत सरकार से जोड़ने की कोशिश की थी। नई दिल्ली ने इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया था। इसके बाद ट्रूडो ने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय वर्मा का भी जांच में जिक्र किया, जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

व्यापार

खबरें हैं कि ट्रूडो के नेतृत्व में भारत और कनाडा के बीच व्यापार बढ़ा था और 2024 वित्तीय वर्ष के अंत तक 8.4 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था। एक ओर जहां कनाडा से मिनरल, पोटाश समेत कई चीजें भारत आती हैं, तो भारत से फार्मास्यूटिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कीमती पत्थर कनाडा पहुंचते हैं।

इमीग्रेशन

आंकड़े बताते हैं कि कनाडा में इस समय करीब 4 लाख 27 हजार भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अब ट्रूडो सरकार का फास्ट ट्रैक वीजा प्रोग्राम खत्म करना पहले ही विवादों में रहा। साथ ही ट्रूडो ने इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट में भी कटौती की, जिससे संख्या में 35 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी। कहा जाता है कि इन फैसलों पर भारतीय छात्रों और भारतीय समुदाय में खासी नाराजगी देखी गई थी।

अब अगर कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में आती है, तो नेता पियरे पोलीवरे के अप्रवास पर विचार भी कनाडा और भारत के रिश्तों पर असर डाल सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पोलीवरे ऐसी व्यवस्था के पक्ष में हैं, जो होनहार छात्रों और श्रमिकों के पक्ष में रहे। माना जा रहा है कि ट्रूडो की नीतियों को आलोचना के चलते उन्हें कनाडा की जनता का एक वर्ग पहले ही समर्थन दे रहा है, लेकिन भारतीय समूह इससे नाखुश नजर आ रहे हैं।

ये भी पढ़ें:इस्तीफे के बाद जस्टिन ट्रूडो की कौन लेगा जगह? इन 4 दावेदारों में एक भारतवंशी भी
ये भी पढ़ें:नाइटक्लब बाउंसर से PM बनने तक का सफर, चहेते नेताओं में होती थी ट्रूडो की गिनती
ये भी पढ़ें:भारत से पंगा लेने वाले जस्टिन ट्रूडो की विदाई, कनाडा के PM पद से इस्तीफा

कंजर्वेटिव जीते तो?

ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के रफ्तार पकड़ने के आसार हैं। साथ ही संभावनाएं जताई जा रही हैं कि विदेश नीति भी अलग मोड़ ले सकती है। भारत के साथ रिश्ते संभालने के ट्रूडो सरकार के तरीके के वह बड़े आलोचक रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वह आर्थिक सहयोग बढ़ाने और तनाव को कम करने पर जोर दे सकते हैं। हालांकि, साल 2022 में दीवाली कार्यक्रम से पीछे हटने समेत कई पोलीवरे के फैसले कनाडा में भारतीय समुदाय की चिंता बढ़ा सकते हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें