Hindi Newsदेश न्यूज़Two Supreme Court Judges faces bad experience with Two Drunk Fliers Amid 30 Minute Mid Air Drama

जब दो SC जजों का दो नशेड़ियों से उड़ते विमान में हुआ सामना, 30 मिनट तक हुआ क्या-क्या ड्रामा

मंगलवार को जब सुप्रीम कोर्ट में एक महिला की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें नशे में धुत एक यात्री ने एक महिला यात्री पर पेशाब कर दिया था, तब जस्टिस केवी विश्वनाथन ने इस घटना का जिक्र किया।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 27 Nov 2024 09:17 PM
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जब दो SC जजों का दो नशेड़ियों से उड़ते विमान में हुआ सामना, 30 मिनट तक हुआ क्या-क्या ड्रामा

ये बात 15 सितंबर, 2024 की है। सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज (जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन) एक जज के बेटे की शादी में शामिल होने तमिलनाडु के कोयंबटूर गए थे। वहाँ से दोनों जजों ने नई दिल्ली के लिए वापसी की फ्लाइट पकड़ी। चूंकि वह रविवार की रात थी और अगले ही दिन दोनों जजों को सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई करनी थी, इसलिए दोनों साथी जजों ने फ्रंट रो में अलग-अलग बैठने और सफर के तीन घंटे का इस्तेमाल आईपैड पर केस की स्टडी करने का फैसला किया लेकिन वे दोनों जज ऐसा नहीं कर सके।

उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान के अंदर हल्ला होने लगा। दरअसल, आधे घंटे की उड़ान के बाद एक यात्री को बाथरूम जाना था। जब वह बाथरूम पहंचा तो पाया कि वह अंदर से बंद है तो वापस चला गया। थोड़ी देर बाद फिर आया तो फिर से बाथरूम बंद था। उसने कई बार दरवाजा पीटा लेकिन किसी ने बाथरूम का दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद उसने क्रू मेबर से इसकी शिकायत की। इसी दौरान एक अन्य यात्री ने बाथरूम के पास फर्श पर ही उलटी कर दी। इससे यात्री और हल्ला करने लगे।

उधर बाथरूम में बंद शख्स दरवाजा नहीं खोल रहा था। इसके बाद मास्टर चाभी लाई गई लेकिन आपत्तिजनक अवस्था का संदेह होने पर क्रू मेंबर ने दूसरे पुरुष साथी से दरवाजा खोलने को कहा। जब बाथरूम का दरवाजा खुला तो देखा कि एक शख्स नशे में धुत्त होकर टॉयलेट शीट पर ही सो रहा है। इसके बाद उसे उसकी सीट पर पकड़कर पहुंचाया गया। दो नशेड़ी यात्रियों के व्यवहार से दोनों जज भी क्षुब्ध थे और वह सबकुछ उनकी आंखों के सामने हो रहा था।

मंगलवार को जब सुप्रीम कोर्ट में एक महिला की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें नशे में धुत एक यात्री ने एक महिला यात्री पर पेशाब कर दिया था, तब जस्टिस केवी विश्वनाथन ने इस घटना का जिक्र किया और कहा कि अनियंत्रित हवाई यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए ‘कुछ रचनात्मक’ किये जाने की आवश्यकता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र और विमानन नियामक ‘डीजीसीए’ को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अधिक व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया।

पीठ 73-वर्षीय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर नवंबर, 2022 में एअर इंडिया की उड़ान में एक पुरुष सह-यात्री ने कथित तौर पर नशे की हालत में पेशाब कर दिया था। महिला ने केंद्र सरकार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और सभी विमानन कंपनियों को इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश देने की मांग की है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह अनियंत्रित यात्रियों से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की जांच करने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए उचित रूप से संशोधित करने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दें। इसी दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने जस्टि सूर्यकांत के साथ यात्रा करते वक्त हुई इस घटना का अपना अनुभव साझा किया।

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, ‘‘हमें हाल ही में (इस तरह की घटना का) अनुभव हुआ। दो यात्री पूरी तरह से नशे में थे। एक वॉशरूम में जाकर सो गया। दूसरा जो बाहर था, उसके पास उल्टी के लिए एक बैग था। चालक दल में सभी महिलाएं थीं और लगभग 30 से 35 मिनट तक कोई भी दरवाजा नहीं खोल सका। इसके बाद चालक दल ने एक सह-यात्री से दरवाजा खोलने और उसे सीट पर ले जाने का अनुरोध किया। यह 2.40 घंटे लंबी उड़ान थी।’’ इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने टिप्पणी की कि कुछ रचनात्मक करने की आवश्यकता है।

शीर्ष अदालत ने मई, 2023 में महिला की याचिका पर केंद्र, डीजीसीए और एअर इंडिया सहित सभी विमानन कंपनियों को नोटिस जारी किये। महिला के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजीसीए ने एक जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि सब कुछ ठीक है, लेकिन याचिकाकर्ता के पास भी सुझाव हैं, जिन्हें शामिल किया जा सकता है।

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केंद्र की ओर से पेश भाटी ने पीठ को बताया कि एक हलफनामा दाखिल किया गया था और अनियंत्रित यात्रियों को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश और परिपत्र अधिसूचित किए गए थे। महिला ने मार्च, 2023 में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि वह शीर्ष अदालत जाने के लिए विवश थी क्योंकि एअर इंडिया और डीजीसीए इस घटना के बावजूद सावधानी बरतने और जिम्मेदारी से पेश आने में विफल रहे।

महिला ने 2014 से 2023 के बीच विमान यात्रियों के दुर्व्यवहार के सात मामलों का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित एयरलाइन ने उनसे ठीक से नहीं निपटा। याचिका में कहा गया है कि जब मामला अदालत में लंबित हो तो मीडिया को क्या खबर देनी चाहिए या नहीं और असत्यापित बयानों के आधार पर मीडिया में प्रकाशित सामग्रियों के प्रभावों को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश के अभाव का असर पीड़ित एवं आरोपी दोनों पर पड़ता है। दिल्ली की एक अदालत ने 31 जनवरी, 2023 को मामले के आरोपी शंकर मिश्रा को निजी बॉण्ड और मुचलके पर जमानत दे दी थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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