110 साल तक जिऊंगा; दलाई लामा ने क्यों और किसे दिया टका सा जवाब
- Dalai Lama: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने उत्तराधिकारी के सवाल पर कहा कि अभी भविष्य के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि मुझे सपना आया है कि मैं 110 साल जिऊंगा।
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा की बढ़ती उम्र उनके अनुयायियों के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। उत्तराधिकार के नियमों में अस्पष्टता और चीनी दवाब के चलते पूरा समुदाय अपने भविष्य को लेकर असमंजस में है। हालांकि अपने जीवन के 90 साल पूरे कर चुके 14 दलाई लामा का मानना है कि अभी उत्तराधिकारी के विषय में चर्चा करने या भविष्य के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने सपना देखा है कि वह 110 साल तक जिंदा रहेंगे। ऐसे में अभी कम से कम दो दशक तो कुछ नहीं होने वाला।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जब नोबेल पुरस्कार विजेता से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा गया कि कि न्यूयॉर्क में घुटने की सर्जरी के बाद वह कैसा महसूस कर रहे हैं तो उन्होंने टका सा जवाब देते हुए कहा कि अभी मुझे कुछ नहीं होने वाला। मैंने सपना देखा है कि मैं 110 सालों तक जीवित रह सकता हूं।
घुटने के सर्जरी के कारण दलाई लामा को अपने अनुयायियों से करीब तीन महीनों तक दूर रहना पड़ा था। लेकिन अब अपने इलाज और आराम की समयाविधि को पूरा कर वह अपने निज निवास धर्मशाला लौट चुके हैं। घुटने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। थोड़ी दिक्कत थी वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है।
तिब्बत की निर्वासित सरकार के डिप्टी स्पीकर डोलमा त्सेरिंग तेखंग ने कहा कि दलाई लामा हमेशा से ही उत्तराधिकार के सवालों पर ऐसे जवाब देते रहे हैं। दो दशकों तक उनके जीवित रहने की भविष्यवाणी ने अनुयायियों को आश्वस्त किया है। लेकिन तब भी उम्मीद है कि उनके अगले जन्मदिन के अवसर पर उत्तराधिकारी के भविष्य को लेकर कोई स्पष्टता आ जाएगी, जिसमें उनका पुनर्जन्म होगा या नहीं या फिर कहां होगा जैसे सवाल शामिल हैं।
तेखांग ने कहा कि हम सब आम लोग हैं हम उनकी बुद्धि की थाह नहीं ले सकते और न ही हम इतने ज्ञान की बातें समझ सकते हैं। ऐसे में हम कोई स्पष्ट संकेत का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, तिब्बती बौद्धों का मानना है कि विद्वान मठवासी अपनी मृत्यु के बाद फिर से पुनर्जन्म लेते हैं।
तेखांग ने कहा कि वर्तमान दलाई लामा के निधन के बारे में सोचकर हमारी आंखें भीग जाती है लेकिन फिर भी हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। अगर ऐसा कुछ होता है तो निर्वासित सरकार अपना कामकाज जारी रखेगी, जबकि आगामी दलाई लामा की खोज गाडेन फोडरंग फाउंडेशन के अधिकारी करेंगे। इस फाउंडेशन की स्थापना दलाई लामा ने ही 2015 में की है इसमें भारत और स्विटजरलैंड में रहने वाले सदस्य शामिल हैं।