पूर्व राष्ट्रपति पर ऐसा क्या बोल गए मोहन भागवत? भड़क गए ईसाई धर्मगुरु
- RSS प्रमुख मोहन भागवत के आजादी से जुड़े एक बयान को लेकर बीते दिनों खूब विवाद हुआ। अब उनकी एक टिप्पणी को लेकर ईसाई धर्मगुरु भड़क गए हैं। मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लेकर एक दावा किया था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS प्रमुख मोहन भागवत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बीते दिनों मोहन भागवत की आजादी को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर बरपे हंगामे के बाद अब उनके एक और बयान पर विवाद छिड़ गया है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को लेकर एक दावा दिया है जिससे ईसाइयों के धर्मगुरु भड़क गए हैं। कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया ने गुरुवार को मोहन भागवत के एक बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए कहा था कि अगर आदिवासियों की ‘घर वापसी’ नहीं हुई तो वे ‘राष्ट्र-विरोधी’ हो जाएंगे।
एक बयान जारी कर कैथोलिक बिशपों के संगठन यानी CBCI ने कुछ रिपोर्टों का हवाला दिया। इन रिपोर्ट्स में कहा गया था कि मोहन भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया था कि प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए ‘घर वापसी’ की तारीफ की थी और उन्होंने कहा था कि अगर संघ द्वारा धर्म परिवर्तन पर काम नहीं किया गया होता, तो आदिवासियों का एक गुट राष्ट्र-विरोधी हो जाता।
CBIC ने इस तरह की रिपोर्ट पर हैरानी जताई है। संगठन ने कहा, "भारत के पूर्व राष्ट्रपति के नाम से गढ़ी गई निजी बातचीत और संदिग्ध विश्वसनीयता वाले संगठन के निहित स्वार्थ की वजह से राष्ट्रपति के मरने के बाद इसका प्रकाशन राष्ट्रीय महत्व का गंभीर मुद्दा है।" संगठन ने आगे कहा, "असल में वीएचपी और इसी तरह के अन्य संगठनों की हिंसक घर वापसी योजना देश विरोधी नहीं है, जो आर्थिक रूप से वंचित आदिवासियों की आजादी पर अंकुश लगाता है?
गौरतलब है कि आरएसएस और कई दूसरे संगठन ‘घर वापसी’ शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में पुनः धर्मांतरण को संदर्भित करने के लिए करते है। दावा किया जाता है कि वे अन्य धर्मों में धर्मांतरित होने से पहले मूल रूप से हिंदू थे। CBCI ने यह सवाल भी उठाया कि प्रणव मुखर्जी के जीवित रहते हुए मोहन भागवत ने इस बारे में क्यों नहीं बोला। संगठन ने कहा, "हम, 2.3 प्रतिशत भारतीय नागरिक जो ईसाई हैं, इस तरह के बयान की कड़ी निंदा करते हैं।"