Hindi Newsदेश न्यूज़tamil nadu cm mk stalin appeals have baby immediately election connection

जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करो, क्यों ऐसी सलाह देने लगे एमके स्टालिन; चुनाव से है कनेक्शन

  • तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि परिवार नियोजन को लागू करना भी राज्य के लिए घातक हो गया। उन्होंने परिसीमन को लेकर कहा कि लोगों को जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करने चाहिए।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 3 March 2025 02:55 PM
share Share
Follow Us on
जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करो, क्यों ऐसी सलाह देने लगे एमके स्टालिन; चुनाव से है कनेक्शन

हिंदी भाषा को लेकर विवाद और परिसीमन से दक्षिणी राज्यों के नुकसान की खबरों के बीच एमके स्टालिन ने अब अपने राज्य की जनता से कहा है कि उन्हें जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करने होंगे। सीएम ने कहा कि परिवार नियोजन को सफलतापूर्वक लागू करने ही अब नुकसानदायक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो तमिलनाडु को कई सीटों का नुकसान हो जाएगा। दक्षिण भारत की सीटें कम हो जाएंगे। ऐसे में दक्षिण का केंद्र में प्रतिनिधित्व और दबदबा भी कम हो जाएगा।

स्टालिन ने कहा कि पहले हम कहा करते थे कि बच्चों के बीच अंतर होना चाहिए। लेकिन अब कहना पड़ रहा है कि जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करो। इससे पहले सर्वदलीय बैठक के दौरान स्टालिन ने कहा था कि सभी को एक साथ मिलकर तमिलनाडु के भविष्य के बारे में विचार करना होगा। हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ेगा।

दूसरी ओर एमके स्टालिन नई शिक्षा नीति का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी को जबरन थोपा जा रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) राज्यों पर हिंदी नहीं थोपेगी और इस संबंध में तमिलनाडु के विरोध के पीछे ‘‘राजनीतिक कारण’’ हैं।

शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी एनईपी और तीन भाषा नीति के कार्यान्वयन को लेकर तमिलनाडु सरकार और केंद्र में टकराव के बीच आई है। प्रधान ने कहा, ‘मैं कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का जवाब नहीं देना चाहता। एनईपी-2020 भारत की विभिन्न भाषाओं पर केंद्रित है, चाहे वह हिंदी हो, तमिल हो, उड़िया हो या पंजाबी। सभी भाषाओं का समान महत्व है। तमिलनाडु में कुछ लोग राजनीति के कारण इसका विरोध कर रहे हैं।’ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को कहा था कि एआई के युग में स्कूलों में किसी भी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में लागू करना अनावश्यक है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘उन्नत अनुवाद तकनीक पहले ही भाषा संबंधी बाधाओं को तुरंत दूर कर देती है। छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए।’

अगला लेखऐप पर पढ़ें