हमारा आदेश क्यों ठुकराया, खुद पेश हों DoPT सचिव; केंद्र सरकार पर ऐसे क्यों भड़क उठे SC जज
अपने आदेश में पीठ ने कहा कि हम 8 जुलाई के फैसले पालन करने के संबंध में हलफनामा दायर करने के लिए 19 दिसंबर तक का समय देते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 20 दिसंबर को DoPT के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) से चयनित एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार और अन्य दिव्यांग अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं जारी करने पर गहरी नाराजगी जताई है और केंद्र सरकार से सख्त लहजे में पूछा है कि उसके आदेश की अवहेलना क्यों की गई। अदालत इस बात से नाराज दिखी कि नौकरशाही में तैनात उच्च पदों पर बैठे लोगों ने उसके आदेश को लागू करने में आनाकानी की है। इससे गुस्साए जजों ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (DoPT) के सचिव को अवमानना का कारण बताओ नोटिस थमा दिया।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ केंद्र सरकार की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शीर्ष न्यायालय के 8 जुलाई के फैसले के अनुपालन के लिए समय बढ़ाने की मांग की गई थी। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने आदेश में पीठ ने कहा, “हम अपने 8 जुलाई के फैसले का अनुपालन करने के संबंध में हलफनामा दायर करने के लिए 19 दिसंबर तक का समय देते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 20 दिसंबर को DoPT के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे। हम सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।”
कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र को स्पष्ट निर्देश दिया कि वह पंकज कुमार श्रीवास्तव और 10 अन्य दिव्यांग उम्मीदवारों को नियुक्त करने पर विचार करे, जो विकलांग व्यक्तियों (PwD) के लिए आरक्षित पदों की बैकलॉग रिक्तियों के 2008 की मेरिट सूची में पंकज श्रीवास्तव से ऊपर थे।
सरकारी लालफीताशाही से परेशान होकर जस्टिस ओका ने कहा, “हम हर दिन देख रहे हैं कि दिव्यांग व्यक्तियों के साथ केंद्र सरकार द्वारा ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, जिससे ऐसा लग रहा है कि सरकार आवेदकों को नियुक्त ही नहीं करना चाहती है और उनकी जांच इसलिए करना चाहती है ताकि कुछ कमी ढूंढी जा सकें और उसके आार पर उनकी उम्मीदवारी को खारिज किया जा सके।”