यूपी-बिहार सहित कई राज्यों में बढ़ रहे अवैध हथियार, SC ने दिया बड़ा आदेश; US का किया जिक्र
- इस समिति का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे, जिसमें गृह और विधि सचिव, राज्य के डीजीपी या पुलिस महानिरीक्षक, और एक विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिन्हें मुख्य सचिव नामित करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी हथियारों की बिक्री और निर्माण पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक समिति गठित करें, जो अवैध हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों और कार्यशालाओं का निरीक्षण और ऑडिट करने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करेगी। कोर्ट ने कहा कि इस प्लान में ये भी सुझाव दिया जाए कि अपराधों में इन हथियारों के इस्तेमाल को कैसे रोका जाए।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना के नेतृत्व में एक पीठ ने इस दिशा में आदेश जारी करते हुए कहा, "हालांकि, गैर लाइसेंसशुदा और लाइसेंसशुदा हथियारों की जांच के लिए पहले से कानून और नियामक ढांचा मौजूद है, फिर भी गैर लाइसेंसशुदा हथियारों का निर्माण बढ़ रहा है, जो समाज और राज्य के खिलाफ अपराधों में इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में गैर लाइसेंसशुदा हथियारों के निर्माण, स्वामित्व, बिक्री और परिवहन की निगरानी आवश्यक है।"
पीठ में न्यायमूर्ति पंकज मित्तल भी शामिल थे, जिन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तुरंत पांच सदस्यीय समिति बनाने का निर्देश दिया। इस समिति का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे, जिसमें गृह और विधि सचिव, राज्य के डीजीपी या पुलिस महानिरीक्षक, और एक विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिन्हें मुख्य सचिव नामित करेंगे।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह एक्शन प्लान कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक रास्ता सुझाए और गैरकानूनी हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए उपाय सुझाए। इसके साथ ही, समिति को लाइसेंसशुदा और गैर लाइसेंसशुदा फैक्ट्रियों और कार्यशालाओं का सख्त ऑडिट और निरीक्षण करने के सुझाव भी देने होंगे। चूंकि देश में हथियारों की तस्करी आम बात है, इसलिए कोर्ट ने एक्शन प्लान में तस्करी और अवैध हथियारों के निर्माण और परिवहन को रोकने के लिए उपाय शामिल करने के लिए कहा है। कोर्ट ने मामले को 30 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है, जब अदालत हर राज्य के एक्शन प्लान की समीक्षा करेगी। पीठ ने इस दिन को शहीद दिवस बताते हुए चुना है जब महात्मा गांधी की हत्या एक हथियार के इस्तेमाल से की गई थी।
महत्वपूर्ण मुद्दे को देखते हुए, कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता एस नागमुथु और अधिवक्ता अनीश आर शाह को न्यायालय की सहायता के रूप में नियुक्त किया। चूंकि पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए अदालत ने फरवरी 2023 में सभी राज्यों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था कि वे गैरकानूनी हथियारों के खतरे को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। कोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश के एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें राजेंद्र सिंह नामक व्यक्ति पर देसी हथियार का इस्तेमाल करके हत्या करने का आरोप था।
कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि अमेरिकी संविधान नागरिकों को हथियार रखने का अधिकार देता है, जबकि भारतीय संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी गैरकानूनी हथियारों का इस्तेमाल भारत में आम हो गया है और यह अपराधियों, छोटे अपराधियों और असामाजिक तत्वों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
नागमुथु ने इस समस्या को "गंभीर" बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अवैध हथियारों की जब्ती की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। राजस्थान में 2020 से 2022 तक अवैध हथियारों के 7,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। बिहार के मुंगेर जिले में 2017 से 2022 तक 91 अवैध हथियार निर्माण इकाइयां पकड़ी गईं। वहीं हरियाणा में पिछले एक दशक में 34,000 से अधिक अवैध हथियारों के मामले सामने आए हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र सरकार की ओर से कुछ ठोस कदमों की जानकारी दी। इन उपायों में हथियार विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन डेटाबेस, हथियारों और गोला-बारूद पर अनिवार्य मार्किंग या स्टैम्पिंग, ऑनलाइन बिक्री या खरीद पर निगरानी, और बैलिस्टिक फुटप्रिंट्स का डेटाबेस शामिल हैं। नागमुथु ने कहा कि ये कदम केवल लाइसेंसशुदा हथियारों को नियंत्रित करने में मदद करेंगे लेकिन अवैध हथियारों के निर्माण को रोकने में अधिक कारगर नहीं होंगे, जो नियामक ढांचे के बाहर संचालित होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अब समय आ गया है कि सरकारें इन फैक्ट्रियों का पता लगाने के लिए विज्ञान और तकनीक का उपयोग करें। कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अमिकस क्यूरी द्वारा सुझाए गए सुझावों के साथ-साथ केंद्र और राज्यों द्वारा प्रस्तावित कदमों को भी शामिल करें और एक व्यापक कार्य योजना तैयार करें।