गरीब आदमी झोपड़ी से राजा को चुनौती दे सकता है; बुलडोजर ऐक्शन पर ऐसा क्यों बोला SC
- एक फैसले में लॉर्ड डेनिंग ने कहा था, ‘सबसे गरीब आदमी अपनी झोपड़ी में बैठकर राजा की सारी ताकतों को चुनौती दे सकता है। यह घर कमजोर हो सकता है। उसकी छत हिल सकती है, हवा इसके अंदर आ सकती है। तूफान आ सकता है। बारिश की बूंदें अंदर आ सकती है, लेकिन इंग्लैंड का राजा अंदर नहीं आ सकता।’ उसका ही जिक्र हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर ऐक्शन को लेकर देश भर के लिए नियमावली तैयार कर दी है। शीर्ष अदालत की बेंच ने बुधवार को कहा कि बिना 15 दिन का नोटिस दिए ऐसा कोई ऐक्शन नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को जज नहीं बनना चाहिए और किसी को भी आरोपी या दोषी होने भर से घर गिराने की सजा नहीं देनी चाहिए। अदालत ने इस फैसले को सुनाते हुए एक कवि प्रदीप की कविता की पंक्तियों का भी जिक्र किया। जस्टिस बीआर गवई ने अपने फैसले में कवि प्रदीप की पंक्तियां भी लिखीं, जो इस प्रकार हैं।
अपना घर हो, अपना आंगन हो,
इस ख्वाब में हर कोई जीता है।
इंसान के दिल की ये चाहत है,
कि एक घर का सपना कभी न छूटे।
यही नहीं अदालत ने इस दौरान इंग्लैंड की अदालत के एक फैसले का भी जिक्र किया। यह फैसला ब्रिटिश जज लॉर्ड डेनिंग ने सुनाया था। लॉर्ड डेनिंग को मार्गरेट थैचर ने आधुनिक दौर का सबसे अच्छा ब्रिटिश जज करार दिया था। उनके फैसलों की आज भी मिसाल दी जाती है और टिप्पणियों का भी अकसर जिक्र होता है।
ऐसे ही अपने एक फैसले में लॉर्ड डेनिंग ने कहा था, 'सबसे गरीब आदमी अपनी झोपड़ी में बैठकर राजा की सारी ताकतों को चुनौती दे सकता है। यह घर कमजोर हो सकता है। उसकी छत हिल सकती है, हवा इसके अंदर आ सकती है। तूफान आ सकता है। बारिश की बूंदें अंदर आ सकती है, लेकिन इंग्लैंड का राजा अंदर नहीं आ सकता। उसकी सारी ताकत बर्बाद हो चुके घर की दहलीज को पार करने की हिम्मत नहीं कर सकती। ऐसा ही होना चाहिए, जब तक कि उसके पास कानून द्वारा औचित्य न हो।' ब्रिटिश अदालत ने अपनी इस टिप्पणी के जरिए बताया था कि किसी परिवार के लिए उसका घर कितना अहम है और कितनी भी ताकतवर चीज से उसे सुरक्षा प्रदान करता है।