सुप्रीम कोर्ट ने आम जनता के लिए खोले अपने दरवाजे, मी लॉर्ड के कोर्टरूम का कर पाएंगे दर्शन
- जनता को सुप्रीम कोर्ट की कोर्टरूम्स, नेशनल जुडिशियल म्यूजियम और आर्काइव का भी दौरा कराया जाएगा। साथ ही, एससी के प्रशासनिक भवन में स्थित नई जज लाइब्रेरी को देखने का अवसर भी मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आम जनता के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। अब लोग हर कामजाकी शनिवार (वर्किंग सैटरडे) को गाइडेड टूर के माध्यम से इस प्रतिष्ठित न्यायालय के अंदरूनी हिस्सों को देख सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य लोगों को सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली और सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराना है।
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार महेश टी. पाटनकर द्वारा 9 जनवरी को जारी एक सर्कुलर में कहा गया, "सक्षम प्राधिकरण के निर्देशानुसार, गाइडेड टूर हर कार्यदिवस शनिवार को आयोजित किया जाएगा, सिवाय दूसरे और चौथे शनिवार एवं घोषित अवकाशों के। यह टूर चार स्लॉट्स में होगा - सुबह 10 से 11:30 बजे, 11:30 से 1 बजे, दोपहर 2 से 3:30 बजे और 3:30 से 5 बजे।"
ऑनलाइन बुकिंग अनिवार्य
इस टूर में शामिल होने के लिए पहले से ऑनलाइन बुकिंग करना अनिवार्य होगा। एक अधिकारी ने बताया, "प्रत्येक विजिटर के लिए ऑनलाइन बुकिंग के साथ यह टूर प्री-प्लान होगा और उन्हें कोर्ट परिसर के भीतर ऐतिहासिक महत्व वाले स्थानों की जानकारी दी जाएगी।"
गाइडेड टूर के दौरान जनता को सुप्रीम कोर्ट की कोर्टरूम्स, नेशनल जुडिशियल म्यूजियम और आर्काइव का भी दौरा कराया जाएगा। साथ ही, एससी के प्रशासनिक भवन में स्थित नई जज लाइब्रेरी को देखने का अवसर भी मिलेगा, जहां आमतौर पर प्रवेश प्रतिबंधित रहता है।
इतिहास और वास्तुकला का परिचय
सुप्रीम कोर्ट भवन का निर्माण 1958 में हुआ था, जिसकी आधारशिला 1954 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी। इसके भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व ने इसे भारत की न्यायिक व्यवस्था का एक प्रतीक बना दिया है।
इस पहल के तहत जनता को सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक धरोहर, न्याय प्रक्रिया और इसके भीतर की संस्कृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के गैलरी सेक्शन में अब तक हुए 296 टूर की तस्वीरें और जानकारी भी उपलब्ध हैं, जो आगामी आगंतुकों को टूर के अनुभव का अंदाजा देती हैं।
पहली बार 2018 में हुआ था टूर
सुप्रीम कोर्ट का पहला गाइडेड टूर 3 नवंबर 2018 को आयोजित हुआ था। तब से अब तक 296 बार इस तरह के टूर आयोजित किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट परिसर में इस पहल को जनता के लिए न्याय प्रणाली के करीब लाने और उसकी संरचना को समझने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वर्किंग सैटरडे को होगा टूर
यहां "वर्किंग सैटरडे" का मतलब है ऐसा शनिवार जो कार्यदिवस हो, यानी जिस दिन कार्यालय या संस्थान खुला हो और सामान्य कामकाज हो रहे हों। सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में, हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को अवकाश होता है, इसलिए इन्हें "वर्किंग सैटरडे" नहीं माना जाता। इसके अलावा, यदि कोई घोषित छुट्टी (जैसे राष्ट्रीय अवकाश) शनिवार को पड़ती है, तो वह भी "वर्किंग सैटरडे" की श्रेणी में नहीं आएगा। संक्षेप में, "वर्किंग सैटरडे" का तात्पर्य उन शनिवारों से है जब सुप्रीम कोर्ट में नियमित कार्य चल रहा हो और यह अवकाश दिवस न हो।
(इनपुट एजेंसी)