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चुनावी याचिका खारिज कीजिए मीलॉर्ड; HC का फैसला बदलने सुप्रीम कोर्ट पहुंची विधायक, क्या आया जबाव

  • Supreme Court News: मणिपुर की महिला विधायक ने उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उनके खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज करने से इनकार किया गया था।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 14 Sep 2024 10:29 AM
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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी याचिका को शुरुआती स्तर पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए अगर उसमें कानून का पर्याप्त अनुपालन हो। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने मणिपुर की विधायक किमनियो हाओकिप हंगशिंग की याचिका खारिज कर दी। हंगशिंग ने सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उनके खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज करने से इनकार किया गया था।

हंगशिंग ने कुकी पीपुल्स अलायंस पार्टी के टिकट पर 2022 में सैकुल निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी। उनके निर्वाचन के खिलाफ केन रायखान ने याचिका दायर की थी। रायखान इसी सीट पर चुनावी में मैदान में उतरे एक स्वतंत्र उम्मीदवार थे। उन्होंने आरोप लगाया कि हंगशिंग ने अपने नामांकन पत्रों में संपत्ति का पूरा खुलासा नहीं किया और चुनाव में भ्रष्ट आचरण किया।

महिला विधायक ने मणिपुर हाई कोर्ट में इस याचिका को चुनौती देते हुए इसे खारिज करने की मांग की थी। उन्होंने सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश-सात, नियम 11 के तहत याचिका को अमान्य ठहराने का प्रयास किया। उनका तर्क था कि याचिका में कोई वास्तविक कार्रवाई का कारण नहीं है।

मणिपुर हाई कोर्ट ने रायखान की याचिका को गंभीरता से लिया और इसे खारिज करने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में कार्रवाई का स्पष्ट कारण है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का पर्याप्त अनुपालन किया गया है। इसलिए इसे प्रारंभिक स्तर पर खारिज नहीं किया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ हंगशिंग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, मगर शीर्ष अदालत ने भी हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया। 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि मणिपुर हाई कोर्ट के निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। याचिका में कार्रवाई का कारण मौजूद है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की आवश्यकताओं का अनुपालन किया गया है। इसलिए इसे सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत खारिज नहीं किया जा सकता।

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