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आरोपी होने पर ही न करें बुलडोजर वाला ऐक्शन; SC ने दी नसीहत तो केंद्र सरकार ने दिया जवाब

  • अदालत ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 2 Sep 2024 09:02 AM
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रेप और दंगे जैसे संगीन अपराधों में उत्तर प्रदेश, एमपी जैसे देश के कई राज्यों में बुलडोजर ऐक्शन का प्रचलन बढ़ा है। आरोपियों के अनाधिकृत निर्माणों पर कई बार बुलडोजर ऐक्शन हुए हैं। इस बीच सोमवार को ऐसी कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

यही नहीं अदालत ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस मामले में एक गाइडलाइन तैयार हो, जिसका पूरे देश में पालन किया जाए। इसके साथ ही बेंच ने केस की अगली सुनवाई 17 सितंबर को करने का फैसला लिया है। बेंच ने कहा कि हम इस मामले में गाइडलाइंस तय करेंगे। बेंच ने कहा कि मान लीजिए कोई व्यक्ति दोषी ही है तो भी कैसे बिना प्रक्रिया का पालन किए उसका घर ध्वस्त किया जा सकता है। हालांकि जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यह भी साफ किया कि हम अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं देंगे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के राशिद खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि हम सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण का समर्थन नहीं करते, लेकिन बिना उचित प्रक्रिया के बुलडोजर की कार्रवाई सही नहीं है। इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं होता कि किसी को सिर्फ आरोपी या दोषी ठहराए जाने पर ही निर्माण गिरा दिया जाए। मेहता ने कहा कि ऐसा तभी होता है, जब निर्माण अवैध हो। इसलिए जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही ऐक्शन लिया जाता है।

 

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