Hindi Newsदेश न्यूज़supreme court fire on lawyer on his claim of nepotism in senior advocate list

कितने जजों के बच्चों को मौका मिला? वकील की दलील पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, मांग ली लिस्ट

  • बेंच ने कहा, 'आखिर कितने जजों के नाम बता सकते हैं, जिनके परिजनों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला है।' इस पर याची ने कहा कि मैंने अपने दावे के समर्थन में एक चार्ट पेश किया है। हालांकि अदालत ने दावों पर असहमति जताई और कहा कि यदि याचिका से इन चीजों को वापस नहीं हटाया गया तो फिर ऐक्शन भी लिया जाएगा।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 3 Jan 2025 12:22 PM
share Share
Follow Us on

जजों के रिश्तेदारों को ही अदालतों में सीनियर वकील का दर्जा दिया जाता है। ऐसा दावा करने वाला एक वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। अदालत ने गुरुवार को कहा कि ऐसा कहने से पहले यह भी तो बताया जाए कि आखिर कितने जजों के परिजनों को वरिष्ठ वकील बनाया गया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने एडवोकेट मैथ्यूज जे. नेंदुमपारा और अन्य की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। यह अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट में 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दायर की गई थी। इस अर्जी में कहा गया है कि इन लोगों को दर्जा देने वाले फैसले को खारिज किया जाए। इसके अलावा जजों के परिजनों को ही सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिए जाने का भी आरोप लगाया गया।

इस पर बेंच ने कहा, 'आखिर आप ऐसे कितने जजों के नाम बता सकते हैं, जिनके परिजनों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया है।' इस पर याची वकील ने कहा कि मैंने अपने दावे के समर्थन में एक चार्ट पेश किया है। हालांकि अदालत ने वकील के दावों पर असहमति जताई और कहा कि यदि याचिका से इन चीजों को वापस नहीं हटाया गया तो फिर ऐक्शन भी लिया जाएगा। बेंच ने कहा, 'हम आपको यह छूट देते हैं कि याचिका में संशोधन कर लें। यदि आप ऐसा नहीं कर सके तो फिर हम ऐक्शन भी ले सकते हैं।' इस पर वकील ने कहा कि बार एसोसिएशन तो जजों से डरती है। इस पर भी बेंच ने सख्त ऐतराज जताया है।

ये भी पढ़ें:LG और दिल्ली सरकार का विवाद हमेशा के लिए खत्म होना चाहिए; SC ने ऐसा क्यों कहा
ये भी पढ़ें:पूजा स्थल कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ओवैसी की याचिका, सुनवाई कब

जस्टिस गवई ने वकील की दलील पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, 'यह कानून के अनुसार चलने वाली अदालत है। मुंबई का आजाद मैदान नहीं है, जहां आप कुछ भी भाषण दे सकते हैं। आप यहां कानूनी आधार पर दलीलें दें, भाषण न करें।' इसके साथ ही अदालत ने वकील को टाइम दिया कि वह अपनी याचिका में संशोधन कर लें। यही नहीं बेंच ने कहा कि इस अर्जी में याची के तौर पर साइन करने वाले एक वकील तो अदालत की अवमानना के दोषी भी हैं। दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट में 70 वकीलों को सीनियर एडवोकेट बनाए जाने का फैसला शुरुआत से ही विवादों में है। यहां तक कि परमानेंट कमेटी के एक मेंबर ने तो यह कहते हुए इस्तीफा ही दे दिया कि उनकी सलाह के बिना ही फाइनल लिस्ट तैयार कर दी गई। इसके अलावा फाइनल लिस्ट के साथ छेड़छाड़ के आरोप भी लग रहे हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें