Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Supreme Court says Disputes between LG, Delhi govt should end once and for all

उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार का विवाद हमेशा के लिए खत्म होना चाहिए; सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

  • वरिष्ठ वकील शादान फरसात ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2023 में याचिका पर नोटिस जारी होने के बाद पीड़ित को भुगतान जारी कर दिया गया था।

Sourabh Jain हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीThu, 2 Jan 2025 06:38 PM
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) और दिल्ली सरकार के बीच विवाद हमेशा के लिए खत्म होना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी गुरुवार को उस याचिका को बंद करते हुए की, जिसमें सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के कैशलेस इलाज के लिए 'फरिश्ते योजना' को लागू करने की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासात ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2023 में याचिका पर नोटिस जारी होने के बाद संबंधित निजी अस्पताल को भुगतान जारी कर दिया गया था। जिसके बाद जस्टिस भूषण आर. गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिल्ली सरकार को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

सुनवाई के दौरान फरासात ने कहा कि एलजी और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच टकराव मुख्य रूप से सेवाओं पर नियंत्रण के लिए है।

दरअसल मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली में अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर नियंत्रण रखने के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने हफ्तेभर के भीतर ही अध्यादेश लाकर इस फैसले को पलट दिया था और फिर बाद में एक कानून के जरिए प्रशासनिक सेवाओं पर दोबारा केंद्र सरकार के नियंत्रण को बहाल कर दिया था।

इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 में महत्वपूर्ण संशोधन किए। फिर AAP सरकार ने केंद्र के इस कदम को चुनौती दी, जो सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

फरासात ने कोर्ट से कहा, 'एक बार संविधान पीठ के फैसले को चुनौती देने का मामला तय हो जाए तो यह मामला सुलझ जाएगा।' सुनवाई के दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि फरिश्ते योजना के तहत सड़क हादसों में घायल लोगों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों के 29 करोड़ रुपए के बिलों का भुगतान कर दिया गया है।

अदालत ने दिसंबर 2023 में इस मामले में एक नोटिस जारी करते हुए कहा था कि, ‘हमें समझ में नहीं आता कि सरकार का एक विंग दूसरे विंग से क्यों लड़ रहा है।’

दिल्ली सरकार की फरिश्ते योजना फरवरी 2018 में शुरू की गई थी, जिसका मकसद सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों को निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दिलवाना था। योजना के तहत राज्य सरकार निजी अस्पतालों को दुर्घटना में घायल मरीजों का पहले घंटे में किए गए उपचार के बदले भुगतान करती है, जिसे "गोल्डन ऑवर" के रूप में जाना जाता है।

याचिका में कहा गया है, 'जब ऐसे निजी अस्पतालों के बिलों का भुगतान रोक दिया जाता है, तो ये अस्पताल योजना के तहत मरीजों को लेना बंद कर देते हैं। जिससे हादसे के बाद अस्पताल पहुंचाए गए मरीज की जान को खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है।'

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने फरिश्ते योजना को जानबूझकर बंद करने के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। उसने कोर्ट को बताया गया कि इस योजना के तहत सड़क हादसों में घायल लगभग 23,000 पीड़ितों को निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की गई है। याचिका में यह भी बताया गया कि 42 निजी अस्पतालों के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है।

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