38 साल पहले डकैतों का सामना, अब मिलेगा 5 लाख का इनाम; यूपी सरकार से क्यों नाराज एससी
- एससी की बेंच ने खेद जताया कि राष्ट्रीय पुलिस पदक के लिए यादव के मामले को आगे नहीं बढ़ाया गया। अगर ऐसा किया जाता तो इससे उत्तर प्रदेश के पूरे पुलिस बल को प्रेरणा मिल सकती थी।
38 साल पहले कुख्यात डकैत का सामना करने में बहादुरी के लिए 84 वर्षीय रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर को सम्मानित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें 5 लाख रुपये, प्रशंसा पत्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाए। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने राम अवतार सिंह यादव की वीरता को सराहा। साथ ही, पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपये की राज्य सरकार की मामूली पेशकश की निंदा की। बेंच ने कहा कि अधिकारियों को और अधिक उदार होना चाहिए।
एससी की बेंच ने खेद जताया कि राष्ट्रीय पुलिस पदक के लिए यादव के मामले को आगे नहीं बढ़ाया गया। अगर ऐसा किया जाता तो इससे उत्तर प्रदेश के पूरे पुलिस बल को प्रेरणा मिल सकती थी। पीठ की ओर से कहा गया, 'अगर इस तरह के पदक से सम्मानित किया जाता तो यह उत्तर प्रदेश के पूरे पुलिस बल और अपीलकर्ता के लिए बड़ा प्रोत्साहन होता। एक लाख रुपये के मामूली इनाम का प्रस्ताव देकर खुद को दोषमुक्त करने का प्रयास किया गया। इसके बजाय, उन्हें अधिक उदार होने की जरूरत थी।
13 मार्च 1986 को क्या हुआ था?
घटना उस वक्त की है जब राम अवतार सिंह यादव बांदा जिले के बिसंडा पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर के रूप में तैनात थे। 13 मार्च 1986 को वह बस में सवार होकर स्टेशन के लिए लौट रहे थे। इसी दौरान हथियारबंद डकैतों ने गाड़ी पर घात लगाकर हमला कर दिया। यह देखकर यादव ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से जवाबी गोलीबारी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में उन्होंने डकैती के कई मामलों में शामिल कुख्यात अपराधी छिदवा को मार गिराया। साथ ही, उनके साहस और ऐक्शन के चलते कई यात्रियों की जान बच गई और डकैती की कोशिश नाकाम रही।