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महिला के जेवरों पर किसी का अधिकार नहीं, देने वाले पिता भी नहीं कर सकते दावा: SC

  • महिला के पास रखे 'स्त्रीधन' पर सिर्फ उसका अधिकार होता है। उस धन को महिला के परिजन यानी मां या पिता भी नहीं मांग सकते। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह अहम व्यवस्था दी। अदालत ने कहा कि भले ही एक लड़की को शादी के दौरान उसके माता-पिता ने ही जेवरात दिए हों, लेकिन उससे वापस नहीं मांगा सकता।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 30 Aug 2024 12:01 PM
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महिला के पास रखे 'स्त्रीधन' पर सिर्फ उसका ही अधिकार होता है। उस धन को महिला के परिजन यानी मां या पिता भी नहीं मांग सकते। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह अहम व्यवस्था दी। अदालत ने कहा कि भले ही एक लड़की को शादी के दौरान उसके माता-पिता ने ही जेवरात दिए हों, लेकिन उससे वापस नहीं मांगा सकता। उस धन पर सिर्फ उस लड़की का ही अधिकार होता है। अदालत ने कहा कि यदि महिला का तलाक भी हो जाए तो भी उसके पिता स्त्रीधन को वापस नहीं मांग सकते। यह पी. वीरभद्र राव नाम के एक शख्स का है, जिन्होंने बेटी की शादी 1999 में की थी। इसके बाद उनकी बेटी और दामाद अमेरिका चले गए थे।

शादी के 16 साल बाद बेटी ने तलाक का केस फाइल कर दिया था। यही नहीं अमेरिका की लुइस काउंटी सर्किट कोर्ट ने दोनों फरवरी 2016 में आपसी सहमति से तलाक को मंजूरी दे दी थी। एक समझौते के तहत पति और पत्नी के बीच घर, पैसों को लेकर भी बात हो गई थी। इसके बाद महिला ने 2018 में दूसरी शादी कर ली थी। तीन साल के बाद महिला के पिता ने उसके ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर करा दी थी। उन्होंने लड़की के जेवरों की मांग की थी। इस एफआईआर के खिलाफ बेटी की पहली ससुराल के लोग तेलंगाना हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन अर्जी खारिज हो गई।

इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। जस्टिस जेके माहेश्वरी और संजय करोल की बेंच ने बेटी के सास-ससुर को राहत दे दी। अदालत ने कहा कि महिला के पिता के पास कोई हक नहीं है कि वह बेटी के स्त्रीधन को वापस लौटाने की मांग करे। ऐसा अधिकार सिर्फ उस महिला को ही है, जिसका वह स्त्रीधन था। यहां स्त्रीधन से अर्थ जेवर एवं महिला से जुड़ी अन्य चीजों से है। जस्टिस संजय करोल ने अपने फैसले में लिखा, 'यह एक सामान्य नियम है और कानून भी इस बात को मानता है कि एक महिला के पास मौजूद स्त्रीधन की वह पूर्ण अधिकारी होती है। उसे कोई बांट नहीं सकता।'

शीर्ष अदालत का यह फैसला अहम है और भविष्य के ऐसे कई मामलों में नजीर बन सकता है। अदालत ने कहा कि पति या फिर पूर्व पति का स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा उसके पिता का भी कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि महिला जीवित है और अपने बारे में फैसले लेने में सक्षम है।

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