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अग्निपथ स्कीम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 जुलाई को होगी सुनवाई, नोटिफिकेशन रद्द करने की है मांग

सेना में भर्ती के लिए लाई गई नई अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तारीख तय कर दी है। अदालत ने इन अर्जियों पर 15 जुलाई यानी शुक्रवार को सुनवाई करने का फैसला लिया।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 13 July 2022 11:20 AM
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अग्निपथ स्कीम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 जुलाई को होगी सुनवाई, नोटिफिकेशन रद्द करने की है मांग

सेना में भर्ती के लिए लाई गई नई अग्निपथ स्कीम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तारीख तय कर दी है। अदालत ने इन अर्जियों पर 15 जुलाई यानी शुक्रवार को सुनवाई करने का फैसला लिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच इन पर सुनवाई करेगी। इस भर्ती योजना के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से कुछ में इसके नोटिफिकेशन को ही रद्द करने की मांग की गई है। वहीं एक अर्जी में इस स्कीम को लागू करने से पहले एक पैनल का गठन कर उसकी राय लेने की मांग भी की गई है। पिछले महीने इस स्कीम का देश के अलग-अलग हिस्सों में तीखा विरोध देखने को मिला था।

खासतौर पर यूपी, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों में तो हिंसक प्रदर्शन हुए थे। 5 जुलाई को भी अग्निपथ स्कीम के खिलाफ एक और अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। यह अर्जी पूर्व सैनिक रविंद्र सिंह शेखावत ने दायर की है। उन्होंने अपनी अर्जी में कहा था कि अग्निपथ स्कीम के लिए डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से जारी किया गया नोटिफिकेशन अवैध, असंवैधानिक है। इसके अलावा यह संविधान में दिए गए अधिकारों का भी हनन करता है। खासतौर पर उन अभ्यर्थियों को लेकर इस अर्जी में सवाल उठाया गया था, जो पहले से जारी भर्ती स्कीम का हिस्सा हैं और उन्हें अब नए सिरे से इसमें आवेदन करना होगा।

शेखावत ने अपनी अर्जी में कहा था कि इस नई भर्ती स्कीम से उन अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में है, जो बीते कई सालों से तैयारी कर रहे थे। एक तरफ वे लोग कोरोना के चलते भर्ती का हिस्सा नहीं बन सके और अब इस प्रक्रिया ने उन्हें और धक्का पहुंचाया है। अर्जी में कहा गया था कि पुरानी भर्ती स्कीम का हिस्सा रहे अभ्यर्थियों को अब नए सिरे से तैयारी करनी होगी। ऐसा करना गलत है क्योंकि किसी भी भर्ती प्रक्रिया को आधे में छोड़कर नए में उन्हें शामिल नहीं किया जा सकता। इससे एक तरफ छात्रों के समय का नुकसान हुआ है तो वहीं नई भर्ती में भी उन्हें किसी तरह की प्राथमिकता का वादा नहीं किया गया है। 

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