2019 में भारतीय सेना के सैन्य पुलिस कोर में सैनिकों के रूप में महिलाओं की भर्ती के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की गई। इसके बाद अग्निवीर योजना के जरिये महिला जवानों की भर्ती हुई।
Agniveer Army: जून 2016 में ही भारतीय वायुसेना ने महिलाओं की लड़ाकू भूमिका में नियुक्ति की शुरुआत कर दी थी। उस दौरान वायुसेना में तीन महिला अधिकारी लड़ाकू पायलट के तौर पर शामिल हुईं थीं।
Agneepath: पूर्व सैन्य अफसरों की ओर से शहादत के मामले में अग्निवीरों के परिजनों को पारिवारिक पेंशन देने मांग उठाई जा रही है। नियमित सैनिकों के आश्रितों को सेना भर्ती में भी प्राथमिकता दी जाती है।
Agnipath Yojana: अगर कोई अग्निवीर ड्यूटी के दौरान शहीद हो जाता है, तो उन्हें 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर, 44 लाख रुपये अनुग्रह राशि, चार सालों की सेवा निधि और कॉर्पस फंड मिलता है।
Agneepath Scheme: भारतीय सेना ने अग्निवीर की मौत पर दुख जाहिर किया है, 'गवाते अक्षय लक्ष्मण ने सियाचिन में सेवा के दौरान अपनी जान गंवा दी। इस दुख की घड़ी में भारतीय सेना शोकाकुल परिवार के साथ है।'
तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है। अदालत ने इस योजना के खिलाफ दायर तीन अर्जियों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। दिल्ली HC ने भी यही फैसला दिया था।
आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में करीब 2.8 लाख लोग ऐसे हैं, जो डिफेंस सर्विसेज से जुड़े हुए हैं या पूर्व सैनिक हैं। अब इनमें से 80 फीसदी कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों से आते हैं।
नेपाल की तरफ से अभी सेना को गोरखाओं की भर्ती के लिए मंजूरी नहीं दी गई है। अगस्त में दो केंद्रों पर इसकी तैयारी शुरू की गई थी, लेकिन नेपाल सरकार की अनुमति नहीं मिलने पर उसे रद्द करना पड़ा।
कार्यकर्ता द्वारा फाइल की गई आरटीआई के आधार पर मांगी गई जानकारी के जवाब में रक्षा मंत्रालय का यह जवाब सामने आया है। इसमें यह बताया गया कि अस्वीकार करने का कारण पारदर्शिता कानून के तहत नहीं आता है।
नेपाल के विदेश मंत्री खडका ने भारत के राजदूत श्रीवास्तव को बताया कि अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार नहीं है। तीन देशों के बीच 9 नवंबर 1947 को समझौता हुआ था।