ज्ञानवापी के ASI सर्वेक्षण पर लगे रोक, याचिका पर SC में कल होगी सुनवाई; मस्जिद कमेटी की मदद करेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ
एएसआई सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की है।

एएसआई सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार यानी कल सुनवाई करेगा। इससे पहले, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद अधिवक्ता निजाम पाशा ने तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था। प्रधान न्यायाधीश अनुच्छेद 370 मुद्दे पर दलीलें सुनने वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।
मस्जिद समिति के वकील एसएफए नकवी ने कहा था, ''हमने विभिन्न खुदाई उपकरणों की तस्वीरें संलग्न की हैं जो एएसआई (टीम) मस्जिद परिसर में पहुंचने पर अपने साथ ले जा रही थी। इससे पता चलता है कि उनका इरादा उस स्थान को खोदने का था।” इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि भले ही वे उपकरण ले जा रहे थे, लेकिन इससे यह नहीं पता चलता कि उनका खुदाई करने का इरादा था। एएसआई के अतिरिक्त निदेशक आलोक त्रिपाठी ने स्पष्ट किया था कि वे घटनास्थल पर मलबा हटाने के लिए कुछ उपकरण ले गए थे, खुदाई के लिए नहीं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खारिज की याचिका
इससे पहले दिन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। दरअसल वाराणसी जिला अदालत ने 21 जुलाई को एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए ‘‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’’ करने का निर्देश दिया था कि क्या काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई के ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ पर 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक रोक लगा दी थी।
इसके बाद मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इसके खिलाफ 25 जुलाई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। जिसे आज यानी गुरुवार को सुनाया गया। उच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण का आदेश पारित करते हुए कहा कि एएसआई के इस आश्वासन पर यकीन करने का कोई कारण नहीं है कि ढांचा क्षतिग्रस्त नहीं होगा। उसने साथ ही कहा कि सर्वेक्षण के लिए किसी तरह की खुदाई नहीं की जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि विवादित परिसर के सर्वेक्षण को लेकर जिला अदालत का आदेश उचित है और इस अदालत द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप वांछित नहीं है।
उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने संवाददाताओं को बताया कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि उसके इस निर्णय के साथ जिला अदालत का सर्वेक्षण का आदेश तत्काल प्रभावी हो गया है। जैन कहा कि उच्च न्यायालय का यह ‘‘बहुत महत्वपूर्ण निर्णय’’ है। उन्होंने कहा कि अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने दलील दी थी कि इस सर्वेक्षण से ढांचा प्रभावित होगा, लेकिन अदालत ने उन सभी दलीलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की दलील थी कि उसे उच्च न्यायालय जाने का मौका नहीं मिला, इसलिए अदालत ने उसकी दलीलों पर सुनवाई की। जैन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर जिला अदालत का निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।
मस्जिद कमेटी की मदद करेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने गुरुवार को कहा कि वह अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को सभी तकनीकी और कानूनी सहायता प्रदान करेगा। इसी कमेटी ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने कहा, "एआईएमपीएलबी के पास बाबरी मस्जिद मामले का अनुभव है, इसलिए हम वाराणसी में ज्ञानवापी का मामला लड़ने के लिए अंजुमन को सभी तकनीकी और कानूनी सहायता प्रदान करेंगे।"
उन्होंने अदालत के बाहर समझौते करने की बात से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “अदालत के बाहर समझौते का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उन्होंने (दूसरे पक्ष ने) अतीत में कभी भी अदालत के बाहर किसी समझौते का सम्मान नहीं किया है। मथुरा और ज्ञानवापी को लेकर स्थानीय समझौता हुआ था लेकिन आज क्या हो रहा है, सब देख रहे हैं। हमें बस अपने नमाज स्थल के लिए अदालत में लड़ना होगा। मुसलमानों ने मस्जिद बनाने के लिए कभी कोई मंदिर नहीं गिराया।''
"पिछले 600 सालों से मुसलमान नमाज पढ़ते आ रहे हैं"
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और एआईएमपीएलबी के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ''यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लड़ा जाएगा। ज्ञानवापी की संरचना 600 साल पुरानी है और आज यह चुनौतीपूर्ण है। पिछले 600 सालों से मुसलमान नमाज पढ़ते आ रहे हैं। इसके अलावा, पूजा स्थल अधिनियम भी है, जिसे हम चाहते हैं कि अदालत इस मामले में लागू करे।” उन्होंने भी यह कहा, “एआईएमपीएलबी सुप्रीम कोर्ट में अंजुमन की लड़ाई में उनका समर्थन करेगा। उन्हें तकनीकी सहायता के साथ-साथ सभी कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी।"