गवर्नर को सावधान रहना चाहिए, शिंदे बनाम उद्धव केस में SC की भगत सिंह कोश्यारी पर तीखी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को अपनी शक्ति का सावधानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें यह पता होना चाहिए कि यदि वे विश्वास मत बुलाते हैं तो फिर उसका नतीजा सरकार गिरने के तौर पर सामने आ सकता है।
राज्यपाल को अपनी शक्ति का सावधानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें यह पता होना चाहिए कि यदि वे विश्वास मत बुलाते हैं तो फिर उसका नतीजा सरकार गिरने के तौर पर सामने आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना में फूट को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान यह तीखी टिप्पणी की। अदालत ने तत्कालीन गवनर्र भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका को लेकर कहा, 'राज्यपाल को इस बात की खबर होनी चाहिए कि विश्वास मत बुलाए जाने से सरकार पर भी खतरा पैदा हो सकता है।' बेंच ने कहा कि गवर्नर को ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए, जिसका नतीजा सरकार गिरने के तौर पर सामने आए।
केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एकनाथ शिंदे गुट की बगावत को लेकर कहा, 'उन लोगों ने तीन साल का रिश्ता तोड़ दिया। कांग्रेस, एनसीपी के साथ उनका गठबंधन चला आ रहा था। आखिर रातोंरात ऐसा क्या हो गया था।' चीफ जस्टिस ने कहा कि गवर्नर को यह सवाल करना चाहिए था कि आखिर आप तीन सालों से कैसे साथ थे? यदि चुनाव के एक महीने के बाद गठबंधन को लेकर कोई सवाल उठता तो बात समझ में आ सकती थी। लेकिन तीन साल तक साथ रहने के बाद 34 लोगों का ग्रुप कहता है कि असहमति है और गवर्नर के तौर पर आप एक दिन विश्वास मत की बात करते हैं।
बेंच ने कहा कि आखिर महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाने का क्या आधार था। इस पर एकनाथ शिंदे गुट का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उद्धव ठाकरे पर बागी विधायकों का भरोसा खत्म हो गया था। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह तो पार्टी के अंदर का मतभेद था। लेकिन इससे गवर्नर का विश्वास मत बुलाने का फैसला सही नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि गवर्नर को इस बात की अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि यदि तीन पार्टियों का गठबंधन होगा तो फिर कोई एक असहमत रहेगा ही।
गौरतलब है कि बीते साल जून में एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर भाजपा ने सरकार बना ली थी। सीएम एकनाथ शिंदे हैं और डिप्टी सीएम के तौर पर देवेंद्र फडणवीस को जिम्मेदारी दी गई है। यही नहीं 40 विधायकों और एक दर्जन से ज्यादा सांसदों को साथ लाने वाले एकनाथ शिंदे को ही शिवसेना के नाम और निशान के इस्तेमाल की परमिशन भी चुनाव आयोग ने दी है। फिलहाल उद्धव ठाकरे सककार गंवाने के बाद पार्टी तक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि उद्धव का कहना है कि बालासाहेब ठाकरे का नाम और विरासत उनके ही साथ है, जिसे कोई छीन नहीं सकता। यह नाम और विरासत ही शिवसेना की पहचान रहे हैं।
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