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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर 'बैन' के खिलाफ आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए पूरा मामला

20 जनवरी को, केंद्र की मोदी सरकार ने YouTube और Twitter को डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 2 Feb 2023 07:05 PM
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सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार यानी आज बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर "प्रतिबंध" को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। एक याचिका पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दायर की थी, वहीं दूसरी याचिका अधिवक्ता एम एल शर्मा ने दायर की है। इससे पहले, शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई छह फरवरी को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गई थी। 20 जनवरी को, केंद्र की मोदी सरकार ने YouTube और Twitter को डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित है। 

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने वकील एम एल शर्मा और वरिष्ठ वकील सी यू सिंह की दलीलों पर गौर किया था। दोनों वकीलों ने इस मुद्दे पर अपनी अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। तब पीठ ने कहा था कि ‘‘इस पर छह फरवरी (सोमवार) को सुनवाई की जाएगी।’’ हालांकि अब इस पर आज सुनवाई होगी। 

वकील एमएल शर्मा ने कहा, ‘‘लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। कृपया इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।’’ पीठ ने कहा, ‘‘आप कहीं से भी सोशल मीडिया पर बात रख सकते है। इस पर सोमवार को सुनवाई की जाएगी।’’ कुछ मिनटों बाद वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर एक अलग याचिका का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे कथित तौर पर आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर राम, भूषण आदि के ट्वीट हटाए गए। 

उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के डॉक्यूमेंट्री को दिखाने पर अजमेर में छात्रों को निलंबित कर दिया गया। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम इस पर सुनवाई करेंगे।’’ डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया गया है कि यह ‘‘दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक’’ है। एमएल शर्मा की जनहित याचिका में 20 जनवरी के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया गया था कि यह "अवैध, दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक है।"   
 

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