किसानों का मसला गंभीर, पब्लिसिटी के लिए यहां न आएं; फटकार लगाकर SC ने खारिज की याचिका
किसान आंदोलनकारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ ऐक्शन लेने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि किसानों का मसला गंभीर है, चर्चा के लिए न आएं।
किसान आंदोलनकारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ ऐक्शन लेने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि किसानों का मसला गंभीर है और इस पर सिर्फ चर्चा पाने के लिए अर्जियां न डालें। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने पीआईएल को खारिज करते हुए कहा कि इस मसले पर पहले ही हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। फिर इसे यहां लाने की क्या जरूरत है। याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट अथॉरिटीज को आदेश कि वह उन लोगों पर ऐक्शन ले, जो किसानों और सिखों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। इससे देश में सांप्रदायिक सद्भाव भी खराब होता है।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसी याचिकाएं सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए नहीं दायर करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने याची को अर्जी वापस लेने की अनुमति दी। उन्होंने किसानों से जुड़े मसलों को गंभीर बताते हुए कहा कि सिर्फ समाचार पत्रों की रिपोर्ट के आधार पर पब्लिसिटी के लिए अर्जी नहीं डालनी चाहिए। अदालत ने कहा,'सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए ऐसी अर्जियां न डालें। हाई कोर्ट पहले ही इस मसले पर सुनवाई कर रहा है और आदेश भी दिया है। इस बात का ध्यान रखें। यह जटिल मामले हैं। खुद भी रिसर्च करिए।'
अर्जी में कहा गया था कि केंद्र सरकार एवं चार राज्य सरकारें किसानों के अधिकारों का हनन कर रही हैं। इस अर्जी में यह मांग भी की गई कि आंदोलन में मारे गए किसानों परिवारों को उचित मुआवजा भी दिया जाए। इसके अलावा घायलों को भी राहत राशि मिले। इसके अलावा यह डिमांड भी की गई कि अदालत केंद्र एवं राज्य सरकारों को आदेश दे कि किसानों को दिल्ली के लिए रास्ता दिया जाए। उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर रोका न जाए। याचिका में कहा गया कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों का केंद्र एवं 4 राज्य सरकारों ने हनन किया है।
किसानों के लिए खोले जाएं रास्ते, अकाउंट्स भी हों अनब्लॉक
सिख चेंबर ऑफ कॉमर्स के एमडी एगनोस्टोस थियोस की ओर से दाखिल अर्जी में अदालत से यह मांग भी हुई कि वह केंद्र सरकार को आदेश दे कि जरूरी मांगों पर विचार किया जाए। इसके अलावा उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। उनके खिलाफ दर्ज केसों को वापस लिया जाए। यही नहीं उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को अनब्लॉक किया जाए और सीमाओं पर लगाई गई बैरिकेडिंग को खत्म किया जाए।