सरकार ने 6 महीने तक नहीं लिया फैसला, कॉलेजियम ने HC चीफ जस्टिस के ट्रांसफर की सिफारिश वापस ली
कॉलेजियम ने बुधवार को अपनी एक सिफारिश वापस ले ली। इसकी एक वजह यह भी है कि जस्टिस मुरलीधर अब यदि मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बन भी जाते तो उनका कार्यकाल 3 या 4 महीने का ही रह जाता।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर को मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश को वापस ले लिया है। कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र सरकार की ओर से बीते 6 महीने से कोई फैसला नहीं लिया जा रहा था, जिसके चलते कॉलेजियम ने सिफारिश को ही वापस ले लिया। कॉलेजियम ने बुधवार को अपनी सिफारिश वापस ले ली। बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी एक वजह यह भी है कि जस्टिस मुरलीधर अब यदि मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बन भी जाते तो उनका कार्यकाल महज 3 या 4 महीने का ही रह जाता।
जस्टिस मुरलीधर इसी साल अगस्त में रिटायर होने वाले हैं। कॉलेजियम ने 28 सितंबर, 2022 को जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इस मामले में 6 महीने में कोई फैसला ही नहीं लिया। इसके बाद कॉलेजियम ने खुद ही सिफारिश वापस ले ली। माना जा रहा है कि अब उनकी जगह पर बॉम्बे हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला को मद्रास उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के तौर पर भेजा जा सकता है। जल्दी ही उनके नाम की सिफारिश कॉलेजियम कर सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट के जज के तौर पर जस्टिस मुरलीधर को 2006 में नियुक्ति मिली थी। उन्होंने चेन्नै से 1984 में अपनी लॉ प्रैक्टिस शुरू की थी। उन्हें मार्च 2020 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज के तौर पर भेजा गया था। वहीं मार्च 2020 में जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर ओडिशा हाई कोर्ट के लिए हुआ था और वह चीफ जस्टिस के तौर पर पहुंचे थे।
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