इस बीच, प्रधान न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि झारखंड सरकार ने राज्य के उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं करने को लेकर केंद्र के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।
CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने सात HCs दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, केरल, मध्यप्रदेश, मद्रास और मेघालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश की थी।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि उन्हें केंद्र सरकार से कुछ जानकारियां मिली हैं।
कॉलेजियम यह सिफारिश करता है कि न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया, न्यायमूर्ति मनोज जैन और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा, अतिरिक्त न्यायाधीशों को दिल्ली HC के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशों को अस्वीकार करने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
यह तर्क दिया गया कि अस्वीकृति की इतनी अधिक दर अत्यंत परेशान करने वाली और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मानदंडों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के बीच संवादहीनता है।
Supreme Court News: दोनों न्यायाधीशों का कहना है कि उनके नामों पर दोबारा विचार करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री का भी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र गया था।
दिलचस्प बात यह है कि कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व नेता एल विक्टोरिया गौरी को फरवरी 2023 में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने का संकेत दिया।
सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य दलित समुदाय से आने वाले दो जजों के नाम बी आर गवई और सी टी रविकुमार हैं। जस्टिस वराले को 18 जुलाई, 2008 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
हाईकोर्ट कॉलेजियम के द्वारा सिफारिश मिलने के बाद केंद्र सरकार अपने इंटेलिजेंस ब्यूरो इनपुट के साथ उन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास भेजती है। इसके बाद उनका चयन होता है।
Allahabad High Court: विदाई समारोह में उन्होंने मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का धन्यावाद किया। खास बात है कि सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने उनका नाम मुख्य न्यायाधीश के लिए बढ़ाया था।
अदालत ने कहा कि आखिर इस तरह सरकार ट्रांसफर और नियुक्ति के मामलों में कुछ नामों को चुनती है और कुछ को छोड़ क्यों देती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा हमारे कहने के बाद भी अकसर हो रहा है।
शीर्ष अदालत ने सात नवंबर को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उच्च न्यायपालिका में कॉलेजियम की अनुशंसा वाले न्यायाधीशों की नियुक्ति में केंद्र का चुनिंदा रवैया परेशानी पैदा करने वाला है।
Supreme Court News: कॉलेजियम की सिफारिश को केंद्र से अनुमति मिलती है तो सु्प्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की पूरी संख्या 34 हो जाएगी। मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में अभी न्यायधीशों की संख्या 31 है।
एक अन्य फैसले में, कॉलेजियम ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अधिवक्ता सिद्धार्थ साह और आलोक माहरा के नामों की सिफारिश की है।
केंद्र द्वारा देरी का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि वे मामले की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।
कॉलेजियम ने 3 अगस्त 2023 को हुई अपनी बैठक में न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए उच्च न्यायालयों के 9 न्यायाधीशों के ट्रांसफर की सिफारिश की है। जिनमें से 4 केवल गुजरात से हैं।
ओवैसी ने पूछा था, "क्या यह सच है कि सभी हाईकोर्ट में पिछले पांच वर्षों के दौरान नियुक्त किए गए 79 प्रतिशत जज ऊंची जातियों से थे जो पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के असमान प्रतिनिधित्व का संकेत देते हैं?"
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के प्रशासन ने फैसला किया है कि विभागाध्यक्षों की बारी-बारी से नियुक्ति की नीति के संबंध में कॉलेजियम सिस्टम लागू की जा सकता है। सरकार ने शुक्रवार को यह ज
देर लगी तुमको आने में, शुक्र है फिर भी आये तो... चीफ जस्टिस ने विजयपथ फिल्म का गीत दोहराते हुए नए नियुक्त हुए जजों का स्वागत किया। इसके अलावा उन्होंने वसीम बरेली का एक शेर भी पढ़ा।
कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है कि अगस्त 2023 में जस्टिस एस. मुरलीधर की सेवानिवृत्ति के बाद उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो जाएगा।
न्यायमूर्ति भुइयां और न्यायमूर्ति भट्टी के नाम की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति भुइयां तेलंगाना HC के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं जबकि न्यायमूर्ति भट्टी केरल HC के मुख्य न्यायाधीश हैं।
सिफारिश में कहा गया है कि कॉलेजियम इस तथ्य से अवगत है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश मूल रूप से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से आते हैं और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा से वरिष्ठ हैं।
उल्लेखनीय है कि रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ मुखर रहे हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को लेकर कुछ महीनों से केंद्र सरकार के मंत्री खुले मंच से आलोचना कर चुके हैं।
कॉलेजियम ने बुधवार को अपनी एक सिफारिश वापस ले ली। इसकी एक वजह यह भी है कि जस्टिस मुरलीधर अब यदि मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बन भी जाते तो उनका कार्यकाल 3 या 4 महीने का ही रह जाता।
आपको बता दें कि न्यायमूर्ति मुरलीधर 7 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं। कॉलेजियम ने उन्हें अपनी रिटायरमेंट तक उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर बरकरार रखा है।
कॉलेजियम ने कहा, 'दोहराए गए नामों को रोकने या उनकी अनदेखी करने से जजों की सीनियॉरिटी पर असर पड़ता है।' कोर्ट ने केंद्र को लंबित नियुक्तियों को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर कार्रवाई का निर्देश दिया।
Collegium vs Government: सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में जजों के 334 पद रिक्त हैं और कॉलेजियम द्वारा की गई 118 सिफारिशें प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूर करते हुए चार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति पर हरी झंडी दिखा दी है। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
दो और जजों की नियुक्ति की सिफारिश को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। इलाहाबाद के चीफ जस्टिस रहे राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे अरविंद कुमार को नियुक्ति मिली है।