फैसला तो लेना होगा, यह भी कोई तरीका नहीं; एकनाथ शिंदे के विधायकों पर स्पीकर से बोला SC
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को नसीहत देते हुए कहा कि वह एक टाइमलाइन तय करें और उसमें फैसला लें। अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आप फैसला ही न लें।
महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मामले में अब तक फैसला नहीं हो सका है, जबकि सवा साल का वक्त गुजर चुका है। इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को नसीहत देते हुए कहा कि वह एक टाइमलाइन तय करें और उसमें फैसला लें। अदालत ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आप फैसला ही न लें। आपको निर्णय तो लेना होगा और उसके लिए अनंतकाल तक आप बैठे नहीं रह सकते। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर अनंतकाल तक किसी फैसले को अटका नहीं सकते। सीएम एकनाथ शिंदे समेत 56 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का मामला लंबित है, जिस पर स्पीकर ने कोई फैसला नहीं लिया है।
अदालत ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से कहा कि वे एक सप्ताह के अंदर इस मामले पर फैसला करें और याचिकाओं के निपटारे के लिए टाइमलाइन तय करें। यही नहीं कोर्ट ने यह भी पूछा कि स्पीकर बताएं कि आखिर 11 मई को इस अदालत के फैसले के बाद क्या किया गया। यही नहीं कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि वास्तव में कुछ नहीं किया गया है। हां, इतना ही काम हुआ कि विधायकों को नोटिस जारी किया गया और फिर उन्होंने जवाब दिया। अदालत ने स्पीकर से कहा कि वह एक सप्ताह के इस मामले पर हरकतमें आएं और तय नियमों के अनुसार जल्द कार्रवाई करें।
महाराष्ट्र के स्पीकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से चीफ जस्टिस ने कहा, 'मिस्टर एसजी, उनको फैसला तो लेना होगा। वह इस तरह नहीं कर सकते। आखिर स्पीकर ने 11 मई के अदालत के फैसले के बाद क्या किया?' दरअसल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा था कि इस मामले में स्पीकर को ही फैसला लेना होगा। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है। यह याचिका शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद सुनील प्रभु की ओर से दाखिल की गई थी। उन्होंने अदालत से मांग की थी कि वे स्पीकर को आदेश दें कि विधायकों की अयोग्यता के मामले में तय समय के अंदर ऐक्शन लिया जाए।
क्यों विधायकों पर फैसला हुआ तो महाराष्ट्र में मच जाएगी हलचल
दरअसल 50 से ज्यादा विधायकों पर तलवार लटकी हुई है। यदि फैसला उनके खिलाफ जाता है तो महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो जाएगी। फिलहाल एनसीपी का भी एक गुट सत्ता में शामिल है। इस गुट की एंट्री के बाद से ही कयास लग रहे हैं कि भाजपा ने बैकअप प्लान के तहत ऐसा किया है। वह मानती है कि यदि एकनाथ शिंदे के विधायकों की सदस्यता जाती है वह अजित पवार गुट के माध्यम से महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज रहेगी।
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