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फिटनेस का राज, जल्द मिलेंगे भाई; केदारनाथ में क्या हुई 'बेघर' राहुल से वरुण गांधी की बातचीत

वरुण गांधी कृषि कानूनों और कोविड​​-19 महामारी से निपटने सहित कई मुद्दों पर भाजपा सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। वह हाल के महीनों में भाजपा की प्रमुख बैठकों से भी अनुपस्थित रहे हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 8 Nov 2023 10:52 AM
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मंगलवार, 7 नवंबर, 2023 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके चचेरे भाई वरुण गांधी ने उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर के बाहर संक्षिप्त मुलाकात की। दोनों भगवान शिव के दर्शन करने के लिए केदारनाथ गए थे। जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी से केरल के वायनाड लोकसभा सांसद हैं तो वहीं वरुण गांधी यूपी के पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद हैं। दोनों नेताओं की बैठक को "गर्मजोशी" भरा बताया जा रहा है और इसने वरुण गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर एक बार फिर से कुछ हलकों में अटकलें शुरू कर दीं।

वरुण की बेटी से मिलकर खुश हुए राहुल

राहुल गांधी अपने चचेरे भाई से 10 साल बड़े हैं। राहुल गांधी कथित तौर पर वरुण की बेटी अनुसुइया से मिलकर "बहुत खुश" हुए। बाद में कहा गया कि यह बैठक "बहुत छोटी" थी और "कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।" यह पहली बार है कि हाल के वर्षों में दोनों चचेरे भाइयों को सार्वजनिक रूप से एक साथ देखा गया है। राहुल और वरुण गांधी की मुलाकात को दोनों परिवारों के बीच रिश्तों में नरमी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इसे इस बात के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है कि वरुण गांधी शायद बीजेपी से किनारा करने पर विचार कर रहे हैं।

दोनों नेताओं की मीटिंग उस समय हुई जब राहुल गांधी देहरादून के लिए उड़ान भरने का इंतजार कर रहे थे, जबकि वरुण गांधी अपने परिवार के साथ मंदिर जाने का इंतजार कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि दोनों करीब 40 मिनट तक बैठे और एक-दूसरे से बातचीत की लेकिन कोई राजनीतिक बातचीत नहीं हुई। पिछले कुछ वर्षों में दोनों के बीच बहुत कम बातचीत हुई है। 

एक दूसरे के खिलाफ नहीं बोलते हैं चचेरे भाई

इंदिरा गांधी की दोनों बहुओं - सोनिया गांधी और मेनका गांधी - के रिश्तों की कड़वाहट उनके बच्चों तक भी पहुंची है। यह तब और बढ़ गई जब मेनका गांधी और वरुण गांधी बीजेपी में शामिल हो गए। एक बार, एक सवाल का जवाब देते हुए, राहुल गांधी ने कहा था कि उनके चचेरे भाई "एक ऐसी विचारधारा में शामिल हो गए हैं जो प्रकृति में विभाजनकारी है और इसलिए, एक साथ आना संभव नहीं है"।

वैसे चचेरे भाइयों ने एक-दूसरे के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला है। हालांकि, 2014 में एक अभियान के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि वरुण गांधी भटक गए हैं। तब वरुण ने जवाब देते हुए कहा था कि उन्होंने 'लक्ष्मण रेखा' और शालीनता की रेखाएं पार कर दी हैं। इसके अलावा, इस तरह का कोई सार्वजनिक विवाद नहीं हुआ है, लेकिन वरुण गांधी और राहुल गांधी के बीच की तुलना में दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं। संयोग से दोनों भाई एक समय लंदन में साथ-साथ पढ़े थे। हालांकि, यह बंधन टूट गया और दोनों तब से एक परिवार के रूप में नहीं मिले। हालांकि जब वरुण गांधी की शादी हुई और जब उनकी बेटी हुई, तब भी गांधी परिवार को निमंत्रण भेजा गया था।

क्या हुई 'बेघर' राहुल से वरुण की बातचीत

न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि राहुल गांधी ने मुलाकात के दौरान वरुण गांधी की बेटी अनुसुइया से विस्तार से बात की और उनके शौक के बारे में पूछा। उन्होंने उन्हें अपनी यात्रा के दौरान खींची गई कुछ तस्वीरें भी दिखाईं। यह एक पारिवारिक पुनर्मिलन था और वरुण गांधी की पत्नी भी मौजूद थीं। उन्होंने राहुल गांधी के साथ उनकी फिटनेस को लेकर चर्चा की। बाद में जाने से पहले, उन्होंने वरुण गांधी या प्रियंका गांधी के घर पर मुलाकात की बात कही। इस दौरान राहुल गांधी ने चुटकी लेते हुए कहा कि वह "बेघर" थे।

भाजपा में  बैकफुट पर हैं वरुण गांधी 

ऐसी कुछ अटकलें हैं कि वरुण गांधी भाजपा में  बैकफुट पर हैं और अक्सर ऐसे मुद्दे उठाते रहे हैं जिन्हें केंद्र सरकार के खिलाफ देखा गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हालांकि इसे सभी पक्षों ने खारिज कर दिया है, लेकिन 2024 में वरुण गांधी कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। कई लोगों का मानना है कि वरुण गांधी की बुद्धिमत्ता और बोलने के उनके अंदाज को देखते हुए, चचेरे भाइयों का एक साथ आना एक शक्ति केंद्र होगा। 

वरुण गांधी कृषि कानूनों और कोविड​​-19 महामारी से निपटने सहित कई मुद्दों पर भाजपा सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। वह हाल के महीनों में भाजपा की प्रमुख बैठकों से भी अनुपस्थित रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल होने की सोच रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वह अपनी पार्टी शुरू कर सकते हैं। केवल समय ही बताएगा कि वरुण गांधी का भविष्य क्या है, लेकिन राहुल गांधी के साथ उनकी मुलाकात ने निश्चित रूप से अटकलों का बाजार गरम कर दिया है।

मुलाकात पर बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार

राहुल गांधी और वरुण गांधी की मुलाकात का भारतीय राजनीति के भविष्य पर क्या असर होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस बैठक से राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा है। यह बैठक इस बात का संकेत है कि पुराने नेता गांधी परिवार की नई पीढ़ी को रास्ता दे रहे हैं। यह इस बात का भी संकेत है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी किस्मत फिर से जगाना चाहती है, जहां लंबे समय से भाजपा सत्ता में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल और वरुण गांधी की मुलाकात पर बीजेपी क्या प्रतिक्रिया देती है। भाजपा संभवतः बैठक के महत्व को कम करने की कोशिश करेगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि पार्टी वरुण गांधी के संभावित दलबदल को लेकर चिंतित है। यह तो समय ही बताएगा कि इस मुलाकात का दूरगामी असर क्या होगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह मुलाकात भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।

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