हरियाणा को कभी रास नहीं आता गठबंधन, देवीलाल और बंसीलाल भी नहीं टिके
हरियाणा की राजनीति में विरोधियों के साथ गठबंधन करके सत्ता की सीढ़ी चढ़ने की परंपरा राज्य बनने के साथ ही शुरू हुई थी। राजनीतिक रूप से आपात स्थिति में देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल सरीखे नेताओं ने गठबंधन कर...
हरियाणा की राजनीति में विरोधियों के साथ गठबंधन करके सत्ता की सीढ़ी चढ़ने की परंपरा राज्य बनने के साथ ही शुरू हुई थी। राजनीतिक रूप से आपात स्थिति में देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल सरीखे नेताओं ने गठबंधन कर सत्ता हासिल की। मगर यह भी हकीकत है कि हरियाणा को कभी भी गठबंधन की राजनीति रास नहीं आई।
देवीलाल की सरकार का हश्र
1977 में देवीलाल के नेतृत्व में महागठबंधन बना। जिसमें कई राजनीतिक दलों और वरिष्ठ नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस गठबंधन ने सत्ता भी हासिल कर ली। कुछ समय बाद भजनलाल ने विधायकों को अपने साथ ले लिया और देवीलाल की सरकार गिरा दी। वर्ष 1980 में भजनलाल कांग्रेस में शामिल हो गए और सरकार बना ली।
बंसीलाल भी नहीं टिके
1987 में देवीलाल ने भाजपा संग गठबंधन सरकार बनाई। राजनीतिक घटनाक्रम के बीच ओम प्रकाश चौटाला सीएम बन गए। भाजपा ने गठबंधन तोड़ लिया और सरकार अल्पमत में चली गई। 1996 में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बनाई और भाजाप के साथ गठबंधन करके सत्ता में आ गए। 1999 में भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो बंसीलाल की सरकार गिर गई।
भाजपा के साथ नहीं चली
2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा का गठबंधन हुआ। इस गठबंधन में वैचारिक मतभेद पैदा हो गए। 2014 में चुनाव के दौरान भी हरियाणा जनहित कांग्रेस व बीएसपी के बीच गठबंधन हुआ। गठबंधन भी लंबा नहीं चला। अब हाल में बीएसपी और इनेलो ने फिर गठबंधन किया।
इनेलो-बीएसपी गठबंधन
इनेलो और बीजेपी का गठबंधन हुआ तो चौटाला भी सत्ता की सीढ़ी चढ़ गए। यह गठबंधन भी लंबा नहीं चला। हरियाणा में इनेलो सरकार अल्पमत में आ गई और उसने केंद्र में भाजपा से समर्थन वापस ले लिया। इस बीच हुए लोकसभा चुनाव के दौरान इनेलो ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया। यह गठबंधन भी लंबा नहीं चल सका।
इस बार हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के गठबंधन की सरकार बन रही है। मनोहरलाल खट्टर जहां दूसरी बार हरियाणा की कमान संभालेंगे, वहीं जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाएंगे।
इस बार किसी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत
राज्य विधानसभा चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, हालांकि भाजपा 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। चुनाव नतीजे आने के बाद भारतीय जनता पार्टी अगली सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत के आंकड़े से छह सीट पीछे रह गई। चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली है, जबकि जननायक जनता पार्टी (जजपा) को 10 और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) को एक-एक सीट मिली हैं। स्वतंत्र उम्मीदवारों ने सात सीटों पर जीत दर्ज की है।
2014 की तुलना में इस बार कम हुआ मतदान
हरियाणा में सोमवार (21 अक्टूबर) को 68 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया था जो 2014 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में कुछ कम था। उस वर्ष 76.54 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2014 में भाजपा ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस को 15 सीटें मिली थी। इंडियन नेशनल लोकदल ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी और बहुजन समाज पार्टी तथा शिरोमणि अकाली दल को एक-एक सीट मिली थी। पांच निर्दलीय थे। इस बार 105 महिलाओं समेत 1,169 उम्मीदवार मैदान में थे।
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