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'लक्ष्मणरेखा रेखा का उल्लंघन नहीं', चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर रिजिजू का सुप्रीम कोर्ट पर निशाना

विपक्ष ने पहले शिकायत की थी कि मोदी सरकार चुनाव आयोग को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयुक्त के इस्तीफा देने की मांग की है।

Himanshu Tiwari लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSat, 18 March 2023 01:11 PM
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जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कई बार बयान दे दिया है। किरेन रिजिजू ने इस बार चुनाव प्रक्रिया में 'पारदर्शिता बनाए रखने' के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की आलोचना की। रिजिजू ने शनिवार को कहा, "हमारे संविधान ने सरकार, विधायिका और न्यायपालिका की शक्ति की सटीक रेखा तय की है। इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।'' संयोग से, 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की 5-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक समिति की तरफ से की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता शामिल होंगे

शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा, ''संविधान चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के लिए कहता है। संसद को कानून बनाना है। उसी के अनुसार नियुक्ति की जाएगी।'' केंद्रीय कानून मंत्री ने यह भी याद दिलाया कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए संसद ने अभी तक कोई समिति पारित नहीं की है।

विपक्ष ने मांगा चुनाव आयुक्त का इस्तीफा

विपक्ष ने पहले शिकायत की थी कि नरेंद्र मोदी सरकार चुनाव आयोग को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त से अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की है। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप सरकार पर दबाव बढ़ गया है। 

संयोग से मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कार्यकाल 2025 तक है। उनकी निगरानी में 2024 का लोकसभा चुनाव होना है। अन्य दो चुनाव आयुक्तों में, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में मुख्य सचिव के रूप में कार्य करने वाले अनूप चंद्र पांडे का कार्यकाल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2024 में समाप्त होने वाला है। एक और चुनाव आयुक्त अरुण गोयल 2027 तक आयोग में बने रहेंगे। पिछले नवंबर में केंद्र सरकार से गोयल की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के एक दिन के भीतर, उन्हें चुनाव आयोग में नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 'रहस्यमय' बताते हुए कहा, "ऐसा लगता है जैसे उन्हें वॉलंटियरिंग के वक्त ही पता था कि उनकी भर्ती होने जा रही है।"

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