Hindi Newsदेश न्यूज़G 20 new delhi declaration ukraine russia war western coutries

G20 राजनीतिक मंच नहीं, नई दिल्ली घोषणापत्र पर आलोचना के बीच पश्चिमी देशों की सफाई

जी20 सम्मेलन संपन्न हो गया। यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणापत्र भी जारी हो गया। इसके बावजूद पश्चिमी देशों पर इसमें रूस को बचाने के आरोप हैं। कहा जा रहा कि 35 पेज के पत्र में रूस के खिलाफ एक शब्द नहीं है।

Deepak Mishra लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSun, 10 Sep 2023 06:27 PM
share Share

जी20 सम्मेलन संपन्न हो गया। यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणापत्र भी जारी हो गया। इसके बावजूद पश्चिमी देशों पर इसमें रूस को बचाने के आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि 35 पेज के इस पत्र में रूस के खिलाफ एक भी शब्द नहीं है। गौरतलब है कि यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने कहा कि जब नई दिल्ली में संयुक्त बयान में रूस की निंदा करने की बात आई तो जी-20 के पास गर्व करने के लिए कुछ भी नहीं था। वहीं, यूक्रेन समर्थक समूह रज्म वी स्टैंड की संस्थापक और निदेशक स्वितलाना रोमांको ने रूस या उसके द्वारा किए जा रहे युद्ध अपराधों का उल्लेख नहीं करने के लिए इस बयान को कमजोर और कायरतापूर्ण करार दिया।

सफाई का सिलसिला
दूसरी तरफ पश्चिमी नेताओं की तरफ से सफाई पेश करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि जी20 राजनीतिक मंच नहीं है। इसे राजनयिक जीत-हार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि मैक्रों ने यह भी कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में नेताओं की घोषणा मॉस्को के लिए कूटनीतिक प्रोत्साहन देने वाली नहीं है। वजह, यह रूस के अलग-थलग पड़ने को दर्शाती है और समूह के अधिकतर सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की निंदा की है। साथ ही इसके परिणामों को भी उन्होंने अच्छा नहीं बताया है। इसके अलावा ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर पेश दस्तावेज को बेहतर और मजबूत परिणाम बताया। 

पहले से था विरोधाभास
बता दें कि जी 20 सम्मेलन शुरू होने से पहले से ही इसको लेकर विरोधाभास रहा है। इसमें रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका समेत अन्य यूरोपियन देशों दबाव बनाने की बातें भी होती रही हैं। गौरतलब है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है। वहीं, चीन भी रूस के इस कदम को समर्थन देता रहा है। हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर शुरू से ही रूस को सख्त ताकीद की है। उन्होंने एक मीटिंग के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से स्पष्ट कह दिया था कि इस मसले का हल बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। ऐसे में जब यह सम्मेलन भारत में हो रहा था तो उम्मीद थी कि यहां रूस पर ज्यादा दबाव बनेगा। लेकिन जिस तरह का परिणाम आया है, उससे यूक्रेन समर्थकों को निराशा हुई है। 

बाली घोषणापत्र से तुलना
बता दें कि पिछले साल बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की कड़े शब्दों में निंदा की गयी, जबकि ज्यादातर सदस्यों ने युद्ध की कड़ी निंदा की। नई दिल्ली घोषणापत्र में यह शामिल नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि बाली घोषणापत्र के साथ तुलना के संबंध में, मैं केवल यही कहूंगा कि बाली, बाली था और नई दिल्ली, नई दिल्ली है। मेरा मतलब है, बाली (जी20 शिखर सम्मेलन) को एक साल हो गया है। वहीं, एक सूत्र ने कहा कि यह विभाजनकारी आम सहमति के बजाय समान राय वाली आम सहमति है। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में अपनाया गया रुख इस संकट से निपटने की स्थायी रूपरेखा को प्रदर्शित करता है, जबकि विभाजनकारी आम सहमति हमेशा नाजुक होती है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें