कॉलेजियम ने जज क्यों नहीं बनाया, इसके पीछे के कारण नहीं बता सकते; HC की दो टूक
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशों को अस्वीकार करने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशों को अस्वीकार करने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह संबंधित लोगों के हितों के लिए हानिकारक होगा और नियुक्ति प्रक्रिया को बाधित करेगा।
उच्च न्यायालय ने उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने के विस्तृत कारण बताने के लिए उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज कर दी गई थी।
उसने कहा कि उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में किसी न्यायाधीश की नियुक्ति एक एकीकृत, परामर्शात्मक और गैर-प्रतिकूल प्रक्रिया है जिसे नामित संवैधानिक पदाधिकारियों के साथ परामर्श की जरूरत या प्रधान न्यायाधीश की सिफारिश के बिना नियुक्ति या हस्तांतरण के मामले में पात्रता की किसी शर्त की कमी के अलावा कानून की अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ‘‘इसके अलावा, अस्वीकृति के कारणों का प्रकाशन उन लोगों के हितों और प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक होगा जिनके नामों की सिफारिश उच्च न्यायालयों द्वारा की गई है, क्योंकि (शीर्ष अदालत का) कॉलेजियम उस जानकारी के आधार पर विचार-विमर्श और निर्णय लेता है जो विचाराधीन व्यक्ति के लिए निजी है। यदि ऐसी जानकारी सार्वजनिक की जाती है, तो इसका असर नियुक्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा।’’