Hindi Newsदेश न्यूज़She herself had gone with him why did the Supreme Court say this in the case of a minor girl

वह खुद उसके साथ गई थी, नाबालिग लड़की के केस में बोला सुप्रीम कोर्ट; आरोपी को दी राहत

  • मामले पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही थी। यहां अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाए थे कि अपीलकर्ता और उसके पिता समेत अन्य रिश्तेदारों ने फरवरी 1994 में गांव से नाबालिग लड़की को अगवा कर लिया था।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानThu, 20 Feb 2025 08:13 AM
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वह खुद उसके साथ गई थी, नाबालिग लड़की के केस में बोला सुप्रीम कोर्ट; आरोपी को दी राहत

नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में आरोपी एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है। बयानों और सबूतों के आधार पर शीर्ष न्यायालय का कहना है कि लड़की खुद ही अपीलकर्ता के साथ गई थी और एक पत्नी की तरह उसके साथ रह रही थी। दरअसल, हाईकोर्ट की तरफ से आरोपी को IPC यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 363/366 के तहत दोषी माना गया था, जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ये दोनों धाराएं अपहरण से जुड़ी हुई हैं।

मामले पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच सुनवाई कर रही थी। यहां अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाए थे कि अपीलकर्ता और उसके पिता समेत अन्य रिश्तेदारों ने फरवरी 1994 में गांव से नाबालिग लड़की को अगवा कर लिया था। जांच के बाद लड़की देहरादून में अपीलकर्ता के साथ रहती पाई गई थी। इसके बाद अपीलकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 363 और 366 के अलावा 376 यानी रेप केस भी दर्ज किया गया।

मामला अदालत पहुंचा और ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को दोषी माना। बाद में जब अपीलकर्ता हाईकोर्ट गया और वहां बलात्कार के आरोपों से उसे राहत मिली, लेकिन कोर्ट ने अपहरण से जुड़ी धाराओं को बरकरार रखा और दो साल की जेल की सजा सुना दी।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि लड़की के बयानों में काफी अंतर है। शुरुआत में उसने दावा किया कि उसका अपहरण किया गया था, लेकिन क्रॉस एग्जामिनेशन से पता चला कि वह खुद ही अपीलकर्ता के साथ मर्जी से गई थी। साथ ही यात्रा भी की और देहरादून में शादी से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए। उसने स्वीकार किया कि बस में यात्रा के दौरान भी किसी तरह बचने की कोई कोशिश नहीं की। इसके अलावा कोर्ट को उसकी उम्र को लेकर भी पेश किए गए सबूत विरोधाभासी लगे।

सुनवाई के दौरान अदालत ने नाबालिग को किसी वयस्क की देखरेख से ‘ले जाने’ या 'लुभाने' पर ध्यान दिया। साथ ही S. Vardarajan v. State of Madras 1964 SCC OnLine SC 36 के मामले पर भरोसा किया। तब कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि अगर वयस्क होने की दहलीज पर खड़ी एक महिला किसी पुरुष के साथ मर्जी से जाती है, तो इसे अभिभावक की देखरेख से 'ले जाया' जाना नहीं माना जाएगा।

कोर्ट ने ताजा मामले में कहा, 'अभियोक्ता के सबूतों से साफ हो जाएगा कि वह खुद ही अपीलकर्ता के साथ मर्जी से गई थी। उसने कई स्थानों पर यात्रा की और देहरादून में पति-पत्नी की तरह रहे।'

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