Hindi Newsदेश न्यूज़Sanjay Raut objects to the new statue of the Goddess of Justice Lashed out on BJP and RSS

वे क्या साबित करना चाहते हैं? न्याय की देवी की नई मूर्ति पर संजय राउत का ऐतराज; BJP-RSS पर बरसे

  • सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी नई मूर्ति पर संजय राउत ने ऐतराज जताया है। मूर्ति के छवि बदले जाने को राउत ने बीजेपी-आरएसएस का प्रोपेगैंडा करार दिया है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 17 Oct 2024 09:48 PM
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भारतीय न्याय व्यवस्था से औपनिवेशिक छवि को हटाने के प्रयास में सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में न्याय की देवी की एक नई प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस प्रतिमा में न्याय की देवी अब पारंपरिक पश्चिमी पोशाक के बजाय भारतीय साड़ी में दिखती हैं। उनके हाथ में तलवार की जगह भारतीय संविधान है और उनकी आंखों से पट्टी हटा दी गई है। लेकिन इस बदलाव से शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत नाखुश हैं। राउत ने इसे बीजेपी-आरएसएस का प्रोपेगैंडा करार देते हुए कड़ी आलोचना की है।

संजय राउत ने कहा, "तलवार को संविधान से बदलकर आखिर वे क्या साबित करना चाहते हैं? यह दिखाने की कोशिश है कि वे संविधान का कत्ल कर रहे हैं, और पट्टी हटाकर भ्रष्टाचार को खुलेआम देखने देना चाहते हैं।" राउत की यह टिप्पणी उस समय आई है जब मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस प्रतिमा के अनावरण के दौरान कहा था, "कानून अंधा नहीं होता, यह सभी को समान रूप से देखता है।"

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं जब संजय राउत ने न्यायपालिका को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के बीच गणेश पूजा के दौरान हुई मुलाकात पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि "प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश का साथ में आरती करना न्याय की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर सकता है।"

उल्लेखनीय है कि न्याय की देवी की पारंपरिक छवि में आंखों पर पट्टी और हाथ में तलवार होती है, यह प्रतिमा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान से चली आ रही थी। सुप्रीम कोर्ट में स्थापित नई प्रतिमा के माध्यम से न्याय के संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने और निष्पक्षता की अवधारणा को नया आयाम देने का प्रयास किया गया है।

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