बाबा साहेब पर RSS का बड़ा दावा, कहा- आंबेडकर ने सतारा की शाखा में लिया था भाग, भाषण भी दिया
- RSS big claim on Baba Saheb: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विदर्भ मीडिया शाखा ने दावा किया है कि 1940 में बीआर आंबेडकर ने सतारा की एक शाखा में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कुछ मुद्दों पर मतभेद के बाद भी मैं आरएसएस को आत्मीयता के साथ देखता हूं।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को लेकर नया दावा किया गया है। संघ की मीडिया शाखा ने दावा किया कि भारतीय संविधान के निर्माता माने जाने वाले भीमराव आंबेडकर भी संघ की शाखा में आए थे। उन्होंने 2 जनवरी 1940 को सतारा जिले के कराड में लगी एक शाखा का न सिर्फ दौरा किया बल्कि वहां पर मौजूद स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक संघ की मीडिया शाखा की विदर्भ ईकाई ने कहा कि संघ को अपनी अब तक की यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। संघ के ऊपर कई मनगढ़ंत आरोप भी लगाए गए लेकिन हर बार हम अपनी सच्चाई को साबित करने में सफल रहे। संघ ने हमेशा ही एक सामाजिक संगठन के रूप में अपनी पहचान को मजबूत किया है। ईकाई के अनुसार, आरएसएस के ऊपर कई बार ब्राह्मण समर्थक और दलित विरोधी होने का भी आरोप लगाया गया। यही नहीं बाबा साहेब आंबेडकर और आरएसएस के बारे में गलत जानकारियां भी फैलाई गईं। हालांकि अब उनके बारे में नया दस्तावेज सामने आया है, जो बाबा साहेब और संघ के बीच के संबंध को उजागर करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भीमराव आंबेडकर ने 2 जनवरी 1940 को सतारा जिले के कराड में लगी एक शाखा का दौरा किया था। यहां पर उन्होंने स्वंयसेवकों को संबोधित भी किया था। शाखा के मुताबिक आंबेडकर ने अपने संबोधन में कहा, "हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन तब भी मैं संघ की तरफ आत्मीयता की दृष्टि से देखता हूं।" वीएसके ने समाचार क्लिपिंग के साथ जारी अपने बयान में कहा, "9 जनवरी 1940 को पुणे के एक मराठी दैनिक समाचार पत्र केसरी में डॉक्टर आंबेडकर की आरएसएस शाखा में जाने की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इस लेख में, विचारक ठेंगड़ी की एक किताब का उल्लेख करके आंबेडकर और संघ के बीच के संबंधों को दिखाया गया।
RSS विचारक की किताब में अंबेडकर के बारे में क्या कहा गया?
किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. अंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी. इसके स्वयंसेवक उनके नियमित संपर्क में थे और उनसे विचार-विमर्श करते थे। डॉ. अंबेडकर यह भी जानते थे कि आरएसएस एक अखिल भारतीय संगठन है जो हिंदुओं को एकजुट करता है। वह यह भी जानते थे कि हिंदुत्व के प्रति वफादार या हिंदुओं को एकजुट करने वाले संगठनों और आरएसएस के बीच अंतर था। उनके मन में आरएसएस के विकास की गति को लेकर संदेह था। वीएसके ने ठेंगड़ी की पुस्तक के हवाले से कहा, इस दृष्टिकोण से, डॉ. अंबेडकर और आरएसएस का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।