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आंबेडकर विवाद से NDA और INDIA में ज्यादा किसको और कितना फायदा, सर्वे ने चौंकाया

सी-वोटर ने जब दिल्ली विधानसभा चुनवावों में आंबेडकर विवाद पर सियासी लाभ-हानि का सर्वे किया तो उससे पता चला कि इस विवाद से सबसे ज्यादा आम आदमी को फायदा होगा।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 30 Dec 2024 07:01 PM
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संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान के कथित अपमान पर पिछले दो हफ्ते से देशभर में हो हल्ला है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं और भाजपा को आंबेडकर का अपमान करने को लेकर दोषी ठहरा रही है। वहीं भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है और आंबेडकर का अपमान करने का दोषी ठहरा रही है। इस बीच, सी-वोटर ने एक सर्वे किया है, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं क्योंकि जिन लोगों से ये सवाल पूछे गए वे कन्फ्यूज हैं।

आज तक पर प्रसारित सर्वे के नतीजों के मुताबिक 30.4 फीसदी लोगों का मानना है कि केंद्र की सत्तासीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को आंबेडकर विवाद से फायदा मिल सकता है,जबकि 31.3 फीसदी लोगों का मानना है कि इस विवाद से INDIA गठबंधन को फायदा मिल सकता है। इससे इतर 14.3 फीसदी लोगों का मानना है कि दोनों गठबंधनों को इस विवाद को उठाने से फायदा मिल सकता है।

सी-वोटर ने जब दिल्ली विधानसभा चुनवावों में आंबेडकर विवाद पर सियासी लाभ-हानि का सर्वे किया तो उससे पता चला कि इस विवाद से सबसे ज्यादा आम आदमी को फायदा होगा। सर्वे के मुताबिक आप को 26.5 फीसदी, जबकि कांग्रेस को 15.9 फीसदी और भाजपा को 22 फीसदी फायदा हो सकता है। सी-वोटर ने फोन कॉल के जरिए 20 से 21 दिसंबर के बीच ये सर्वे किए थे। इस सर्वे में कुल 1228 लोगों ने हिस्सा लिया था। बता दें कि आंबेडकर विवाद के जरिए सभी दल दलित वोटों पर नजरें गड़ाए हुए हैं।

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इस बीच, वाम दलों ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के खिलाफ सोमवार को यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिट पार्टी (माले) लिबरेशन, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान शाह के खिलाफ नारे लगाए और कहा कि उन्हें इस्तीफा देना चाहिए या फिर हटाया जाना चाहिए। यह प्रदर्शन केंद्रीय स्तर पर वाम दलों द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी आंदोलन का हिस्सा था।

माकपा की दिल्ली इकाई ने एक बयान में कहा कि देश भर में आयोजित इन विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से वाम दलों ने न केवल डॉ. आंबेडकर के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा की, बल्कि इसे भारतीय लोकतंत्र और संविधान के बुनियादी मूल्यों पर हमला बताया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि साल के आखिर में यानी अक्टूबर-नवंबर में बिहार में विधान सभा चुनाव होने हैं। इस वजह से दलित वोटों के लिए आंबेडकर के बहाने सियासत जारी है।

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