वक्फ के बाद अब संघ की नजर ईसाइयों की जमीन पर, राहुल गांधी ने लगाया आरोप
- राहुल गांधी ने कहा, 'संविधान ही एकमात्र ढाल है जो हमारे लोगों को ऐसे हमलों से बचाता है और इसकी रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।' कांग्रेस नेता ने जिस लेख का हवाला दिया, अब ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की नजर वक्फ के बाद अब ईसाई समुदाय की भूमि पर पड़ गई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संविधान रूपी ढाल से ही सबकी रक्षा की जा सकती है। राहुल गांधी में संघ समर्थक पत्रिका ऑर्गनाइजर के एक लेख पर आधारित खबर का स्क्रीनशॉट साझा किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 'मैंने कहा था कि वक्फ विधेयक अभी मुसलमानों पर हमला करता है लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाने की मिसाल बनेगा। संघ को ईसाइयों की ओर अपना ध्यान ले जाने में देर नहीं लगी।’
राहुल गांधी ने कहा, 'संविधान ही एकमात्र ढाल है जो हमारे लोगों को ऐसे हमलों से बचाता है और इसकी रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।' कांग्रेस नेता ने जिस लेख का हवाला दिया, अब ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। खबर के अनुसार, ऑर्गनाइजर के लेख में वक्फ से तुलना करते हुए कहा गया कि कैथोलिक चर्च और उसके संस्थानों के पास लगभग सात करोड़ हेक्टेयर भूमि है। मालूम हो कि वक्फ संशोधन विधेयक भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित एक कानून है, जिसका उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करना है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पंजीकरण और विवाद निपटारे में सुधार लाने का दावा करता है।
वक्फ को लेकर केंद्र पर हमलावर कांग्रेस
वक्फ से जुड़े नए प्रावधानों में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, संपत्तियों का डिजिटलीकरण, कलेक्टर की भूमिका बढ़ाना और अवैध कब्जों को रोकना शामिल है। सरकार का कहना है कि यह पारदर्शिता और कार्यकुशलता के लिए है, लेकिन इसे लेकर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। पार्टी का मानना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय से मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान जैसी संपत्तियां छीन सकता है। उनका आरोप है कि सरकार की मंशा सुधार की नहीं, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण की है। कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भी असहमति दर्ज की और दावा किया कि उनके सुझावों को नजरअंदाज किया गया।