भारत ने 54 साल बाद पाकिस्तान को दिया इतना दर्द, इस एक वजह से परेशान होगा दुश्मन
पाकिस्तान की सरकार, अदालत, नौकरशाही और सेना समेत सभी प्रमुख संस्थानों में पंजाबी मूल के लोगों का ही दबदबा है। पाकिस्तानी राष्ट्रवाद का मुख्य केंद्र भी पंजाब ही है। ऐसे में पंजाब के अंदर ही घुसकर भारतीय सेना ने जिस तरह से अटैक किया है, वह पाकिस्तान को अंदर तक हिला देने वाला है।

पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर अटैक किया है। यही नहीं पीओके समेत भारत ने जिन 9 ठिकानों को टारगेट किया है, उनमें पाकिस्तान के पंजाब में स्थित मुरीदके और बहावलपुर भी शामिल हैं। यही वह बात है, जिससे भारतीय सेना ने पाकिस्तान की कमजोर नब्ज को दबा दिया है। बीते 54 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने पाकिस्तान के पंजाब में घुसकर अटैक किया है। पाकिस्तान की सरकार, अदालत, नौकरशाही और सेना समेत सभी प्रमुख संस्थानों में पंजाबी मूल के लोगों का ही दबदबा है। पाकिस्तानी राष्ट्रवाद का मुख्य केंद्र भी पंजाब ही है। ऐसे में पंजाब के अंदर ही घुसकर भारतीय सेना ने जिस तरह से अटैक किया है, वह पाकिस्तान को अंदर तक हिला देने वाला है।
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी पंजाब के कई ठिकानों पर हमला किया है,जिनमें बहावलपुर और मुरीदके शामिल हैं। लाहौर से 40 किलोमीटर दूर स्थित मुरीदके पर हमला किया है और इसके अलावा बहावलपुर को भी टारगेट किया है। बहावलपुर में ही मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी स्थित है। भारतीय सेना ने वायु हमले में इसे भी निशाना बनाया है। इस मुख्यालय में अजहर मसूद परिवार समेत रहता था। अटैक में मसूद अजहर तो बच गया है, लेकिन उसके परिवार के 10 लोगों और 4 करीबियों समेत 14 लोग मारे गए हैं।
पाकिस्तान का पंजाब प्रांत कारगिल युद्ध के दौरान भी जंग से अछूता रहा था। भारतीय सेना ने 1965 और 1971 की जंग में इसे टारगेट किया था, लेकिन उसके बाद से ऐसा कुछ नहीं हुआ है। यहां तक कि 2016 में जब उरी आतंकी हमले का भारत ने बदला लिया था तो पीओके स्थित आतंकी कैंपों को टारगेट किया था। फिर 2019 में पुलवामा आतंकी हमले का जवाब बालाकोट एयरस्ट्राइक से दिया था। यह बालाकोट खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में है। इस तरह 1971 के बाद से अब तक पंजाब भारतीय हमलों से बचा रहा था।
लेकिन इस बार भारतीय सेना ने पंजाब में घुसकर मार की है। बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान लद्दाख और उससे लगता क्षेत्र ही जंग का केंद्र बना था। फिर 2001 में संसद में हुए आतंकी हमले के बाद भी तनाव की स्थिति पैदा हुई थी, लेकिन कोई अटैक नहीं हुआ था। इस बार भारतीय सेना ने कोई रियायत नहीं बरती है और पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर करीब 100 आतंकियों को मौत के घाट उतारा है।