अब मैं रिटायर जजों से ज्यादा युवा वकीलों को बनाता हूं मध्यस्थ, CJI चंद्रचूड़ ने बताई वजह
- CJI ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में उनके द्वारा नियुक्त किए गए 45 मध्यस्थों में से कम से कम 23 वकील थे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को बताया कि कैसे केवल सेवानिवृत्त न्यायाधीशों (रिटायर्ड जजों) को मध्यस्थ (arbitrator) नियुक्त करने की परंपरा कम हो रही है। उन्होंने इस बदलाव का श्रेय भारत के युवा वकीलों की बढ़ती प्रतिभा को दिया है, जो अब मध्यस्थ के रूप में अपनी योग्यता और कौशल से शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में उनके द्वारा नियुक्त किए गए 45 मध्यस्थों में से कम से कम 23 वकील थे। उन्होंने कहा, "पहले मेरा स्वाभाविक झुकाव रिटायर्ड जजों को नियुक्त करने की ओर होता था, क्योंकि यह हमारी एक आदत बन चुकी थी, जोकि परंपरा से जुड़ी थी। लेकिन अब मैंने भारत के प्रतिभाशाली मध्यस्थ वकीलों के समूह से चयन करने पर जोर देना शुरू कर दिया है। खासकर युवा महिला वकील, जो मध्यस्थता की दुनिया में लैंगिक असमानता को पूरी तरह खत्म कर रही हैं।"
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह मिथक टूटना चाहिए कि सिर्फ सेवानिवृत्त न्यायाधीश ही अच्छे मध्यस्थ होते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि "अच्छे मध्यस्थ अच्छे न्यायाधीश भी बन सकते हैं।" उन्होंने कहा कि विवाद को निपटाने के लिए मध्यस्थता एक पसंदीदा माध्यम बनता जा रहा है, इसके लिए विशेष ज्ञान वाले न्यायाधीशों की आवश्यकता है।
कहां बोल रहे थे CJI?
CJI ने यह बातें 'अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और कानून के शासन' पर आयोजित एक सम्मेलन के दौरान कहीं। यह सम्मेलन सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा, और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने भी अपनी बात रखी।
पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने याद दिलाया कि PCA ने दुनिया भर में कई राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को सुलझाया है, जिनमें सिंधु जल संधि, भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा विवाद और इतालवी मरीन केस शामिल हैं। कपिल सिब्बल ने आर्थिक प्रगति के लिए मामलों के त्वरित निपटान और अच्छी तरह से तैयार निवेश संधियों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "यह दोनों के लिए फायदेमंद होगा; जैसे निवेशकों को हमारी जरूरत है, वैसे ही हमें भी निवेशकों की जरूरत है।"
कौन होते हैं मध्यस्थ?
भारतीय कोर्ट में मध्यस्थ (Arbitrator) वे व्यक्ति होते हैं जो विवादों को सुलझाने के लिए न्यायालय के बाहर समाधान प्रदान करते हैं। मध्यस्थ का मुख्य कार्य होता है कि वह दोनों पक्षों के बीच निष्पक्ष रूप से मध्यस्थता करके उनके विवाद का समाधान करे, जिससे अदालतों में लंबित मामलों का बोझ कम हो और विवादों का त्वरित निपटारा हो सके।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थों की नियुक्ति तब की जाती है जब विवाद का समाधान अदालत के बजाय वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution - ADR) की प्रक्रिया के तहत किया जाता है। यह प्रक्रिया खासतौर से व्यापारिक, वाणिज्यिक, अनुबंधिक और अन्य जटिल विवादों के समाधान के लिए उपयोग की जाती है।
मध्यस्थ का चयन अदालत द्वारा किया जा सकता है, या फिर दोनों पक्ष आपसी सहमति से किसी विशेषज्ञ या वकील को मध्यस्थ के रूप में चुन सकते हैं। पारंपरिक रूप से, भारत में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया जाता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में युवा और विशेषज्ञ वकीलों को भी मध्यस्थ के रूप में चुना जाने लगा है।
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