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माफी मांगने में कोई बुराई नहीं है, हरीश साल्वे के वकील को SC ने क्यों फटकारा? दिलचस्प है मामला

  • न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ को साल्वे के कार्यालय के एक वकील ने बताया कि उन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं दी गई।

Amit Kumar भाषा, नई दिल्लीThu, 20 Feb 2025 10:46 PM
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माफी मांगने में कोई बुराई नहीं है, हरीश साल्वे के वकील को SC ने क्यों फटकारा? दिलचस्प है मामला

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के एक सहयोगी वकील को तगड़ी फटकार लगाई थी। दरअसल इस वकील ने मामले में पेश होने के लिए हरीश साल्वे की गैरमौजूदगी का हवाला देते हुए स्थगन का अनुरोध कर किया था। इस पर कोर्ट ने उसे फटकार लगा दी। इस घटनाक्रम के एक दिन बाद, वरिष्ठ वकील ने बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत को बताया कि उनकी ओर से अनुरोध उनकी जानकारी के बिना किया गया था।

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ को साल्वे के कार्यालय के एक वकील ने बताया कि उन्हें इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं दी गई। इस पर न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि यदि वकीलों द्वारा अदालत से माफी मांगी जाती है, तो इसमें कोई बुराई नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि आपको न्यायाधीश पसंद न हों, लेकिन संस्था से माफी मांगने में कोई बुराई नहीं है। हो सकता है कि आपको कोई न्यायाधीश पसंद न हो, लेकिन बार के जूनियर सदस्यों में वह पश्चाताप भी नहीं दिखता। यह भविष्य में उनके लिए नुकसानदायक होगा। माफी संस्था से मांगी जानी चाहिए, न कि न्यायाधीशों से। और समय बीतने के साथ यह प्रथा भी लुप्त हो गई है, क्योंकि शायद बार के कनिष्ठ सदस्यों को यह भ्रम है कि न्यायाधीश यहां आएंगे, कुछ साल रहेंगे और चले जाएंगे।’’

वकील ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता को इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि इस तरह का स्थगन मांगा गया था। पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी व्यक्ति विशेष पर आरोप नहीं लगा रहे हैं। यह बहुत अनुचित है। ऐसा पहली बार नहीं है।’’ जब अदालत ने वकील से पूछा कि साल्वे के नाम पर स्थगन लेने वाले वकील के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए, तो साल्वे के कार्यालय की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘‘एक बात हमें बार-बार सिखाई गई थी कि अदालत को कभी भी हल्के में न लें। यही आपका मंदिर है, यहीं आपको पेश होना है और यहीं आपको झुकना है। कुछ लोग उनके (साल्वे के) नाम पर ऐसा कर रहे हैं और उन्हें इस बात का दुख है कि उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है और लोग जाकर उनकी ओर से उल्लेख कर देते हैं।’’

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19 फरवरी को स्थगन की मांग करने वाले वकील ने पीठ के समक्ष उपस्थित होकर कहा था कि वह मुवक्किल के निर्देश पर काम कर रहे हैं। वकील ने अदालत से मामले की सुनवाई को चार सप्ताह के लिए स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे इस मामले पर बहस करेंगे। इसके बाद शीर्ष अदालत ने अपनी असहमति व्यक्त की थी।

पीठ ने कहा था, ‘‘क्या आपको लगता है कि अगर आप किसी वरिष्ठ वकील का नाम लेंगे, तो हम मामले को स्थगित कर देंगे? वकीलों की यह प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए। हम सिर्फ इसलिए मामले को स्थगित नहीं करेंगे, क्योंकि आपने किसी वरिष्ठ वकील का नाम लिया है।’’ जब मामला बाद में सुनवाई के लिए आया, तो अदालत ने कहा कि वह इस धारणा को दूर करना चाहती है कि वह वरिष्ठ वकील का नाम लेने पर मामले को स्थगित कर सकती है। बहरहाल, उसने अनुरोध स्वीकार कर लिया और सुनवाई स्थगित कर दी।

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