उद्धव ठाकरे से अजित पवार- महाराष्ट्र चुनाव कई दिग्गजों के लिए अस्तित्व की लड़ाई, बचा पाएंगे साख?
- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है। राज्य की दो बड़ी पार्टियों में फूट के बाद 20 नवंबर को होने वाले चुनाव राज्य के राजनीतिक परिदृश्य के लिए एक जरूरी मोड़ साबित हो सकता है।
चुनाव आयोग के आगामी विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज चुका है। अब सारी निगाहें पार्टी की रणनीतियों और राज्य के दिग्गजों पर आ टिकी हैं। जानकारों की माने तो चुनाव के नतीजे कई प्रमुख दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य के लिए फैसले की घड़ी होगी। इनमें शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं के नाम भी शामिल हैं। 2019 में बनी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) को विपक्षी एकता के लिए एक टेम्पलेट के रूप में देखा गया था। हालांकि भाजपा ने इन पार्टियों के अंदर विद्रोहियों का समर्थन करके इसका मुकाबला किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई। इसके बाद अजित पवार और उद्धव ठाकरे दोनों गुटों को आधिकारिक पार्टी का दर्जा खोना पड़ा। तब से दोनों नेता नए नामों और प्रतीकों के तहत अपनी पार्टियों को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल के लोकसभा चुनावों में उद्धव ठाकरे ने 9 सीटें और अजित पवार ने 8 सीटें जीती थी। इस प्रदर्शन से उनके जमीनी समर्थन का पता चला। हालांकि विधानसभा चुनाव बड़ी परीक्षा है। एक राजनीतिक अंदरूनी सूत्र ने कहा, "यदि एमवीए सत्ता में आती है तो पवार और ठाकरे दोनों महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करना जारी रखेंगे और अपनी पार्टियों को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके उलट अगर महायुति सत्ता में लौटती है तो उनके प्रतिद्वंदी जीते हुए उम्मीदवारों को लुभाकर विरोधी गुटों को खत्म करने की कोशिश करेगी।"
शरद पवार पश्चिमी महाराष्ट्र में विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं। उन्होंने बड़ी हलचल पैदा की है और सत्तारूढ़ भाजपा और एनसीपी के कई नेताओं को अपने पक्ष में कर लिया है। इधर उद्धव ठाकरे मुंबई में कई रणनीतिक बैठकें कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्होंने 7 लोकसभा सीटें जीती हैं, समाज के विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए सोची-समझी चालें चल रहे हैं। अपने चाचा शरद पवार के गढ़ में चुनौतियों का सामना करने के बावजूद अजित पवार ने एक राजनीतिक सलाहकार को नियुक्त किया है और महिला मतदाताओं को लक्षित करते हुए एक अभियान शुरू किया है।
इस बीच देवेंद्र फडणवीस के लिए यह चुनाव राज्य या राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका निर्धारित कर सकता है। नाम न बताने की शर्त पर एक भाजपा मंत्री ने कहा, "अगर भाजपा सत्ता में लौटती है तो फडणवीस मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की उम्मीद कर सकते हैं। अगर नहीं तो वह दिल्ली की राजनीति में जा सकते हैं।" राजनीतिक विश्लेषक प्रताप असबे समय से पहले निष्कर्ष निकालने के खिलाफ हैं। उनका मानना है, "एमवीए ने अभी तक महायुति सरकार के खिलाफ एक अच्छी कहानी नहीं बनाई है। यह चुनाव सभी बड़े नेताओ के लिए अस्तित्व की लड़ाई है।”