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मौलवी थे मेरे सूबेदार मेजर, दुर्गा पूजा करते थे; सेना प्रमुख ने बताया अनूठा अनुभव

  • जनरल द्विवेदी ने अपने बचपन के अनुभवों को याद करते हुए बताया कि उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और द्वितीय विश्वयुद्ध के वीरों की कहानियां सुनाते थे, जिससे उनमें सेना के प्रति लगाव बढ़ता गया।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 19 Feb 2025 10:37 PM
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मौलवी थे मेरे सूबेदार मेजर, दुर्गा पूजा करते थे; सेना प्रमुख ने बताया अनूठा अनुभव

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में अपनी बहुधार्मिक परवरिश और गौरवशाली सैन्य करियर को लेकर खुलकर चर्चा की। उन्होंने अपने धार्मिक विश्वास, सेना में समावेशी माहौल और अपने जीवन के प्रेरणास्रोतों पर भी बात की। जनरल द्विवेदी ने बताया कि जब वह जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में शामिल हुए थे, तो वहां एक ही छत के नीचे मस्जिद, गुरुद्वारा, दुर्गा माता मंदिर और महाकाल मंदिर स्थित थे। यह उनके लिए सर्वधर्म समभाव की सीख का महत्वपूर्ण हिस्सा बना।

एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं बहुधार्मिक हूं। जब मैंने सेना जॉइन की, तो मेरे बटालियन में सभी धर्मों के लोग थे। वहां मेरे सूबेदार मेजर एक मौलवी थे, लेकिन वह बिना किसी हिचकिचाहट के दुर्गा माता की पूजा भी करते थे। यही हमारे बटालियन की खासियत थी- हर धर्म का सम्मान।" हाल ही में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए। सेना प्रमुख ने कहा कि कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी यूनिट भक्ति धाम से आशीर्वाद लिया, जहां उन्हें अपने मौलवी, पंडित और ग्रंथी से आशीर्वाद मिला।

सेना प्रमुख ने कहा, "अगर आप देखें, तो क्या मैंने शुरुआती दौर में किसी मशहूर जगह, स्वर्ण मंदिर या महाकाल या वैष्णो देवी का दौरा किया है? नहीं। सबसे पहले मैं अपनी यूनिट, भक्ति धाम गया। और एक बार जब मैंने अपने मौलवी, अपने पंडित, अपने ग्रंथी से आशीर्वाद प्राप्त कर लिया, उसके बाद मैंने सभी जगहों पर जाना शुरू किया।"

बचपन से ही सेना में जाने की प्रेरणा मिली

जनरल द्विवेदी ने अपने बचपन के अनुभवों को याद करते हुए बताया कि उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और द्वितीय विश्वयुद्ध के वीरों की कहानियां सुनाते थे, जिससे उनमें सेना के प्रति लगाव बढ़ता गया। उन्होंने बताया कि उनके चाचा एक कॉपी लाते थे, जिसमें सैनिकों की तस्वीरें होती थीं, जिससे उनके मन में सेना के प्रति रुचि जगी। पहले उन्होंने डॉक्टर और इंजीनियर बनने पर विचार किया, लेकिन आखिरकार उन्होंने सेना को ही अपना करियर बनाया। उन्होंने कहा, "मेरे बड़े भाई डॉक्टर थे, तो मैंने सोचा कि यह फील्ड तो मेरे लिए अब बंद है। दूसरा भाई इंजीनियर था, तो यह भी बंद हो गया। फिर सेना ही बची।" शुरुआत में वह इंटेलिजेंस अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने पहले सेना में भर्ती होकर फिर इस क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया।

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव

जनरल द्विवेदी ने एरो इंडिया 2025 के दौरान एयर मार्शल एपी सिंह के साथ हल्का लड़ाकू विमान (LCA) उड़ाने का अनुभव भी साझा किया। उन्होंने एयर मार्शल एपी सिंह की नेतृत्व क्षमता और ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के समय से ही एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने कहा, "एपी सिंह शुरू से ही टीम को एकजुट करने वाले व्यक्ति रहे हैं। वह स्वाभाविक रूप से एक अच्छे नेता हैं और किसी भी भीड़ को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं। उनकी ईमानदारी और स्पष्ट अंदाज के कारण मैं मजाक में कहता हूं कि उन्हें इन्फैंट्री में होना चाहिए था।"

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भारतीय सेना में धार्मिक समावेशिता और नेतृत्व का उदाहरण

जनरल उपेंद्र द्विवेदी की यह बातें न केवल भारतीय सेना में मौजूद धार्मिक समावेशिता को दर्शाती हैं, बल्कि उनके मजबूत नेतृत्व कौशल और देश के प्रति अटूट समर्पण को भी उजागर करती हैं। 30वें सेना प्रमुख के रूप में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें उत्तर सेना कमांडर और डायरेक्टर जनरल ऑफ इन्फैंट्री शामिल हैं।

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