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सेना को राजनीति में न घसीटें; आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी की राहुल गांधी को नसीहत

  • उन्होंने कहा कि आज हमारे यहां से विदेशों में हथियार भेजे जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अब हथियार बनाने वाली कंपनियों को आसानी से लाइसेंस मिल रहे हैं औऱ छूट मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से यह कहता रहा है कि हम संवाद चाहते हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानWed, 19 Feb 2025 03:07 PM
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सेना को राजनीति में न घसीटें; आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी की राहुल गांधी को नसीहत

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नसीहत दी है। उन्होंने बुधवार को कहा कि सेना को राजनीति में नहीं घसीटना नहीं चाहिए। ऐसा हुआ तो यह चिंता की बात होगी। उन्होंने ANI से पॉडकास्ट में कहा कि हमने चीन के साथ बातचीत के रास्ते को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर हमने बातचीत को बढ़ावा दिया है। यदि हम एक दूसरे से बात करेंगे तो बहुत से संदेह दूर हो पाएंगे। हमारी यह राय रही है कि किसी भी तरह से संदेह को खत्म किया जाए। इसके लिए हमने कोर कमांडर्स को ताकत दी है कि जहां भी संभव हो, वे फैसला ले लें। यदि बातचीत से कोई मसला हल होता है तो कर लिया जाए। उन्हें यह पावर दी गई है कि यदि उनके लेवल से कोई मामला हल हो सकता है तो वे कर लें। उसके लिए किसी भी तरह की मंजूरी का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।

राहुल गांधी के उस बयान पर भी जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बात की, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने कहा था कि लद्दाख सेक्टर में घुसपैठ हुई थी। इस पर उन्होंने कहा कि सेना को राजनीति में नहीं घसीटा जाना चाहिए। वहीं महिलाओं को देवी काली की तरह सेना में शामिल करने की अपनी टिप्पणी पर एक बार फिर से उन्होंने बात की। जनरल द्विवेदी ने कहा कि मेरा भाव यह था, जो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के लिए कहा गया था- बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। बता दें कि महिलाओं को सेना में शामिल करने के वह हिमायती रहे हैं। सेना प्रमुख ने इस दौरान हथियारों की बिक्री को लेकर भी बात की।

उन्होंने कहा कि आज हमारे यहां से विदेशों में हथियार भेजे जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अब हथियार बनाने वाली कंपनियों को आसानी से लाइसेंस मिल रहे हैं औऱ छूट मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से यह कहता रहा है कि हम संवाद चाहते हैं। लेकिन जब जरूरी होगा तो हम जंग से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस दौरान जब पूछा गया कि यदि किसी सेना कोई शहीद होता है तो आप लोग कैसे परिवार को बताते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बेहद दर्दनाक अनुभव होता है। लेकिन हम एक परिवार की तरह काम करते हैं। सेना में इंजीनियर, आर्टी, इन्फैंट्री समेत सभी लोग एक परिवार जैसे हैं। हम यदि आज भी कोई कार्य़क्रम करें तो शहीदों की विधवाएं बड़ी संख्या में आती हैं। इससे पता चलता है कि हम लोग एक परिवार की तरह ही काम करते हैं।

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