जब 10 घंटे तक चली थी मनमोहन सिंह की गंभीर हार्ट सर्जरी, उठते ही सबसे पहले पूछा था ये सवाल
- भारत के पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। 92 साल के पूर्व प्रधानमंत्री के लंबे राजनीतिक करियर के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जिन्हें याद कर लोग भावुक हो रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह 2009 में एक बुरे दौर से गुजर रहे थे। मनमोहन सिंह को उस वक्त स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की शिकायत के बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। तब उनकी लगभग 10 से 12 घंटे लंबी कोरोनरी बाईपास सर्जरी हुई थी। इससे जुड़ा एक किस्सा बेहद मशहूर है। मनमोहन सिंह का इलाज करने वाले वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. रमाकांत पांडा ने एक इंटरव्यू के दौरान एनडीटीवी को पूर्व पीएम से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताई थीं।
डॉ रमाकांत पांडा ने बताया कि इतनी लंबी सर्जरी के बाद जब उन्हें होश आया तब मनमोहन सिंह ने सबसे पहला सवाल अपनी सेहत के बारे में नहीं पूछा था। उनका पहला सवाल देश और कश्मीर की खैरियत से जुड़ा था। डॉ रमाकांत ने बताया, "जब हमने उनकी हार्ट सर्जरी पूरी की, रात को हमने सांस लेने वाली पहली नली निकाली जिससे वह बात कर पाएं, तो उन्होंने मुझसे सबसे पहले पूछा, "मेरा देश कैसा है? कश्मीर कैसा है?" मैंने कहा, लेकिन आपने मुझसे अपनी सर्जरी के बारे में कुछ नहीं पूछा। इस पर मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें पता था कि मैं ठीक रहूंगा।
मनमोहन सिंह ने कहा था, "मुझे सर्जरी की चिंता नहीं है। मुझे अपने देश की ज्यादा चिंता है। वरिष्ठ सर्जन ने आगे बताया, "वे एक महान इंसान, विनम्र व्यक्ति और देशभक्त थे। वे मेरे आदर्श थे।" डॉ रमाकांत के मुताबिक ऐसी सर्जरी के बाद मरीज अक्सर सीने में दर्द की शिकायत करते हैं। लेकिन उन्होंने कभी भी किसी चीज के बारे में नहीं पूछा या शिकायत नहीं की। यह एक मजबूत इंसान की निशानी थी। उन्होंने बताया, “हर बार जब वे सर्जरी के बाद जांच के लिए आते थे तो हम उन्हें लेने के लिए अस्पताल के गेट पर जाते थे। लेकिन उन्होंने हमेशा हमें मना करते थे।"
गौरतलब है कि डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य शिकायतों के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 'भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार' के रूप में जाने जाने वाले मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में दो बार देश के प्रधानमंत्री बने। उनके निधन पर सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है।